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पापमोचनी एकादशी पर बन रहे 2 शुभ योगः सभी पापों से मिल जाएगी मुक्ति, ऐसे करें व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार, यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली है। इसलिए इसे पापमोचनी एकादशी कहते हैं। पापमोचनी एकादशी के विषय में भविष्योत्तर पुराण में विस्तार से वर्णन किया गया है। इस व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है। इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र होने से सिद्धि और शुभ नाम के 2 योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस व्रत की विधि, कथा व अन्य खास बातें…
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एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ- 27 मार्च शाम 6.04 से
एकादशी तिथि पूर्ण- 28 मार्च शाम 4.16 बजे तक
व्रत का पारण- 29 मार्च सुबह 6.22 से 8.50 बजे तक
इस विधि से करें पापमोचनी एकादशी व्रत…
– व्रती (व्रत रखने वाला) दशमी तिथि (27 मार्च, रविवार) को एक समय सात्विक भोजन करें और भगवान का ध्यान करें।
– एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प करें। संकल्प के बाद षोड्षोपचार (16 सामग्रियों से) सहित भगवान श्रीविष्णु की पूजा करें।
– पूजा के बाद भगवान के सामने बैठकर भगवद् कथा का पाठ करें या किसी योग्य ब्राह्मण से करवाएं।
– परिवार सहित बैठकर भगवद् कथा सुनें। रात भर जागरण करें। रात में भी बिना कुछ खाए (संभव हो तो ठीक नहीं तो फल खा सकते हैं) भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें।
– द्वादशी तिथि (29 मार्च, बुधवार) को सुबह स्नान करके विष्णु भगवान की पूजा करें फिर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करें।
– इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं तथा व्रती के सभी पापों का नाश कर देते हैं।
पापमोचनी एकादशी का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है। ये एकादशी इस बात का भी अहसास कराती है कि जीवन में कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए। हर संभव प्रयास से उन जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए। जानें अंजाने यदि गलत हो भी जाए तो इस एकादशी का व्रत उन सभी पापों से छुटकारा दिलाता है। इसीलिए पापमोचनी एकादशी को पापों से मुक्ति पाने वाली एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन नियमानुसार व्रत रखने से भक्तों को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।