-
Advertisement

विश्व भर में 70 लाख लोग प्रदूषण के कारण गंवा रहे अपनी जान
जैसे ही सर्दियां आती हैं हवा दम घोटने वाली हो जाती है। इसके पीछे कुछ खास कारण हैं। मसलन ज्यादा पराली जलाना, निर्माण कार्य, पटाखों का धुआं (stubble burning, construction work, smoke of firecrackers) और तेज हवाओं का ना चलना आदि ऐसे कारण हैं जो हवा को अत्यंत जहरीला बना देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार हर दस में से नौ व्यक्ति दूषित हवा की सांस ले रहे हैं। विश्व में 38 लाखों की मौत तो महज घर में होने वाले प्रदूषण के कारण हो जाती है। क्या आपको पता है कि दुनिया भर में प्रदूषण की वजह से कितने लोगों की जान चली जाती है। तो आइए हम आज आपको बताते हैं कि प्रदूषण की वजह से आखिर कितने लोगों की जान चली जाती है। इस संबंध डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि विश्व में प्रदूषण के कारण ही 70 लाख लोग काल के जबड़े में समा रहे हैं। हैरत की बात यह है कि इनमें से 91 प्रतिशत मौतें (91 percent of deaths) उन देशों में हो रही हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है।
यह भी पढ़ें:तो 40 फीसदी ही नष्ट हो पाती है इको फ्रेंडली प्लास्टिक, 60 प्रतिशत नहीं
इनमें साउथ-एशिया (South-Asia) के देश शामिल हैं। क्या आपको पता है कि प्रदूषित हवा में मौजूद पीएम 2.5 पार्टिकल्स (PM 2.5 Particles) सांस के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं। यही पार्टिकल्स फिर फेफड़ों, हार्ट और दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं डब्ल्यूएचओ (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर वर्ष पांच लाख सत्तर हजार बच्चों की मौत महत प्रदूषण के कारण ही हो रही है। इन बच्चों की उम्र पांच वर्ष से भी कम होती है।

विश्व में हर साल दस लाख बच्चे निमोनिया के कारण दम तोड़ देते हैं। इनमें से पचास प्रतिशत का संबंध प्रदूषण से होता है। वहीं डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हवा का प्रदूषण बच्चों पर कई तरह का प्रभाव छोड़ रहा है। इससे उन्हें भविष्य में दिक्कतें पैदा हो रही हैं। इनमें से ब्रेन का विकसित ना होना, फेफड़ों का काम ना करना, कैंसर, सांस से जुड़ी दिक्कतें, ब्रेन स्ट्रोक और हृदय रोग आदि शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में तीन सौ करोड़ लोग ऐसे है, जिनके पास ईंधन नहीं है। जो उन्हें प्रदूषण से बचाए। इनमें से लकड़ी जलाना, कंडे जलाकर खाना बनाना, स्टोव जलाना, केरोसिन को प्रयोग करना आदि ऐसे कारण हैं जो घरों में अकसर प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। विश्व भर में 2400 करोड़ लोग घर के अंदर के प्रदूषण की मार झेल रहे हैं।