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भूख से तड़प रहे थे बच्चे, पेट नहीं भर सका मजबूर बाप तो लगा लिया फंदा
कानपुर। लॉकडाउन की वजह से हमारे देश में मजदूरों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ पैदल ही घर की ओर निकल पड़े हैं तो कुछ हादसों का शिकार बनते जा रहे हैं जो बच गए वो भूख से तड़प कर जान दे रहे हैं। ऐसा ही एक आंखों को नम कर देने वाला मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में। काम ना मिलने से पाई-पाई को मोहताज काकादेव थाना क्षेत्र के राजापुरवा निवासी मजदूर (Labourer) से जब बच्चों की भूख नहीं देखी गई तो उसने फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। भूखे परिवार का पेट भरने का मजदूर ने प्रयास तो भरसक किया, दर-दर भटका पर कहीं काम नहीं मिला। बच्चों को 15 दिन से भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाया था। बच्चे कभी सूखी रोटी खाकर सो जाते तो कभी पानी पीकर। बच्चों की यह पीड़ा उससे देखी नहीं गई और उसने खुद को ही खत्म करने की ठान ली।
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पत्नी ने जेवर बेचने की भी की थी कोशिश
जानकारी के अनुसार राजापुरवा निवासी विजय बहादुर (40) दिहाड़ी मजदूर था। मजदूरी करके ही पत्नी रंभा, बेटों शिवम, शुभम, रवि और बेटी अनुष्का का पेट भरता था। डेढ़ महीने से जारी लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से उसे कहीं काम नहीं मिला। इसके चलते जो पैसा जोड़ा भी था, वह भी खत्म हो गया। परिजनों और आसपास के लोगों ने बताया कि परिवार को कई दिन से भरपेट भोजन नहीं मिला था। पड़ोसियों ने बताया कि पत्नी ने भी लोगों के घरों में काम करने की कोशिश की, लेकिन कोरोना की दहशत के कारण बहुत कम काम मिलता। कहीं से कुछ व्यवस्था कर थोड़ा बहुत लाती भी तो छह लोगों के परिवार में कम पड़ा जाता। इसके चलते विजय ने रंभा के पास जो थोड़ा बहुत जेवर है, उसे बेचने का भी प्रयास किया। हालांकि दुकानें बंद होने की वजह से यह भी संभव नहीं हो पाया। आर्थिक तंगी के चलते पति-पत्नी में नोकझोंक होने लगी। भूख की वजह से मासूम बेटी की तबीयत भी खराब होने लगी। घटना के समय रंभा बच्चों के साथ रोटी की तलाश में ही घर से निकली थी। पीछे से परेशान विजय ने साड़ी से फंदा लगा लिया। इसी बीच पत्नी घर पहुंच गई और पड़ोसियों की मदद से विजय को उतारकर अस्पताल में भर्ती कराया जहां देर रात उसकी मौत हो गई।