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किसानों ने गाजे-बाजे के साथ शिमला में किया प्रदर्शन, कृषि कानून वापस लेने की उठाई मांग
शिमला। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों ने सोमवार को राजधानी शिमला (Shimla) के मशोबरा में जबरदस्त प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मंच हिमाचल प्रदेश तथा हिमाचल किसान सभा के बैनर तले किया गया। इस धरने प्रदर्शन में किसान पहाड़ी बाजे के साथ शामिल हुए। नारेबाजी के बीच हिमाचल किसान सभा (Himachal Kisan Sabha) के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में ऐसे प्रदर्शन प्रदेश भर में किये जा रहे हैं। डॉ. तंवर ने कहा कि किसान अपने उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करने के लिए पिछले 110 दिन से दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर डटा हुआ हैए लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांग मानने के लिए तैयार नहीं है।
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उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस किसान ने लॉकडाउन और कोविड के संकटकाल में देश की अर्थव्यवस्था को संभाला उस किसान के प्रति केंद्र सरकार का रवैया उदासीनतापूर्ण है। राज्याध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ देश और प्रदेश का नौजवान भयंकर बेरोज़गारी से जूझ रहा है, महंगाई चरम पर है, रसोई गैस, पेट्रोल, डीज़ल, खाद्य सामग्री आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चुकी है तो दूसरी तरफ सरकार देश की किसानी को नष्ट करने पर तुली है। ऐसी सरकार को जगाने के लिए आज बाजे का सहरा लेना पड़ा, ताकि सोई सरकार को जगाया जा सके। उन्होंने कहा कि जब तक कृषि कानूनों ( agricultural laws) को वापस नहीं लिया जाता, आन्दोलन जारी रहेगा।
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सरकार ज़मीन और खेती पूंजीपति के करना चाहती हवाले
वहींए हिमाचल में संयुक्त किसान मोर्चा के कोर ग्रुप सदस्य और शिमला नगर निगम के पूर्व महापौर संजय चौहान ने कहा कि वर्तमान कृषि नीतियां लागू करके किसानों को बर्बाद करके ज़मीन और खेती देश के बड़े पूंजीपति और कॉरपोरेट के हवाले करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि उसने नए कानून बना कर किसानों को अपना उत्पाद बेचने की आज़ादी दी है, लेकिन खुली मंडियों का खामियाज़ा सेब उत्पादक पहले भी भुगत चुके हैं। बागवानों का करोड़ों रुपया आज ऐसे ही आढ़तियों के पास फंसा है जो खुले में मंडी लगाकर बागवानों का करोड़ों का सेब लेकर चम्पत हो गए। हिमाचल किसान सभा, मशोबरा इकाई की ओर से खंड विकास अधिकारी के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भी भेजा गया।