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संकष्टी चतुर्थी पर करें शिव परिवार की पूजा, पूरी होगी हर इच्छा
एकादशी की तरह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो बार चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। दोनों ही व्रत गणपति को समर्पित होते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी ( Sankashti Chaturthi)के नाम से जाना जाता है. वहीं वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी या विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस संकष्टी को विकट संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश और शिव परिवार ( Shiva pariwar) की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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शास्तों में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता का दर्जा प्राप्त है। इसलिए कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य को करने से पूर्व भगवान गणेश जी की स्तुति और स्मरण किया जाता है। गणेश भगवान रिद्धि,-सिद्धि दाता हैं।
संकष्टी चतुर्थी का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसके साथ ही माताएं संतान की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए भी इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा करती हैं। संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा करने से पाप ग्रह केतु और बुध ग्रह की अशुभता भी दूर होती है। बुध और केतु के अशुभ होने से व्यक्ति को धन, व्यापार, करियर और शिक्षा में बाधा का सामना करना पड़ता है।
संकष्टी चतुर्थी, शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी: 30 अप्रैल 2021, शुक्रवार. चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चन्द्रोदय नहीं है.
चतुर्थी तिथि आरंभ: 29 अप्रैल 2021 को रात 10:09 बजे
चतुर्थी तिथि समापन: 30 अप्रैल 2021 को शाम 07:09 बजे
संकष्टी चतुर्थी तिथि की सुबह स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें। व्रत का संकल्प लेने के बाद पूजा आरंभ करें। भगवान गणेश को फल, मिष्ठान, द्रूर्वा , पंच मेवा आदि समर्पित करें। मोदक का भोग लगाएं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चंद्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है।
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