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शनि अमावस्याः आज करेंगे ये उपाय तो शनि दोष से मिलेगा छुटकारा
मार्गशीर्ष माह की अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है जिससे शनि अमावस्या का योग बन रहा है। इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार अगहन मास में 30 साल बाद ग्रह गोचर की विशिष्ट स्थिति में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार शनि अमावस्या की तिथि 4 दिसंबर को पड़ रही है। इसका आरम्भ 3 दिसंबर को शाम 4:55 बजे से होगा और समापन 4 दिसंबर को दोपहर 1:12 बजे होगा। इसी दिन इस वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। हालांकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। ऐसी राशियां जिन पर शनि की ढैया, साढ़ेसाती, महादशा, प्रत्यांतर दशा चल रही है, उन राशि के जातकों को इस खास दिना शनिदेव की पूजा, तेल से अभिषेक व शनि की वस्तुओं का दान करना चाहिए। इससे शनि देव की कृपा मिलेगी और संकट दूर होंगे।
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शनि अमावस्या का महत्व शनि अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा अर्चना करके आप जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता के साथ साथ शनि दोषों से भी राहत पा सकते हैं। शनि अमावस्या के दिन पूर्व में किये गए अपने कर्मों की माफ़ी मांगने, दान का पुण्य कमाने और शनि देव की विशेष कृपा पाने के लिए सच्चे मन से आराधना की जानी चाहिए। जिन पर शनि भारी हो उन्हें तो अवश्य ही विशेष पूजा और उपायों को पूर्ण करना चाहिए। अमावस्या के दिन सुबह सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प करें और शनि देव के दर्शन करें। इसके बाद उनको सरसों का तेल और काला तिल अर्पित करें। पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करें और शनि स्त्रोत एवं शनि चालीसा का पाठन करें।
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा एवं परिक्रमा करने से विशेष फल प्राप्त होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पीपल के पेड़ की पूजा और उसकी परिक्रमा करने से लम्बी आयु का फल भी प्राप्त होता है। इसके साथ शनि दोषों से निजात पाने के लिए पीपल के पेड़ का पौधा लगाना चाहिए इससे शनि ग्रह को शान्ति मिलती है। मान्यता है कि इस पीपल के पौधे में रविवार के दिन छोड़कर नियमित रूप से जल भी अर्पित करना चाहिए। वृक्ष बढ़ने के साथ ही आपकी सुख-समृद्धि में भी विकास होगा।
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शनि अमावस्या के दिन गरीबों में वस्त्र, उड़द दाल, काला तिल, कंबल आदि का दान करना चाहिए। साथ ही भूखे लोगों को भोजन कराने और पानी पिलाने से शनि देव आप पर प्रसन्न हो सकते हैं। इसके साथ ही अपने मन से दूसरों के लिए अनादर, दुश्मनी, जलन आदि की नकारात्मक भावनाओं का अंत करना चाहिए।
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