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सीएम जयराम ठाकुर ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, बेरोजगारी घटी, 8.3 फीसदी रहेगी विकास दर
शिमला । विधानसभा (Assembly) में प्रश्नकाल के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने विधानसभा में वर्ष 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) प्रस्तुत किया। प्रदेश सरकार के दस्तावेज यह बताता है कि हिमाचल में बेरोजगारी (Unemployment) बढ़ने के बजाय घटी है। इसका प्रमाण आर्थिक सर्वेक्षण है, जिसमें बताया गया है कि 2018.19 में बेरोजगारी दर 5.2 फीसदी थी, जो घटकर 2019-20 में 3.7 फीसदी रह गई है। वर्ष 2020-21 में प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय 201854 लाख रुपए रहने का अनुमान है, जो कि राष्ट्रीय अनुमानित प्रति व्यक्ति आय से 51528 प्रति अधिक है। वर्ष 2021-22 के दौरान प्रति व्यक्ति आय में 10.1 फीसदी की वृद्धि रहने का अनुमान लगाया गया है।
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हिमाचल में बेरोजगारी दर घटी
सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में कोरोना काल से पहले के दो वर्षों के बारे में बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े दिए हैं। इन आंकड़ों के तहत बताया गया है कि वर्तमान बीजेपी सरकार के पहले दो वर्ष के सत्ता काल में बेरोजगारी दर पांच फीसदी से अधिक थी, जो साढे़ तीन फीसदी रह गई है। प्रदेश सरकार ने रोजगार के परिदृश्य को लेकर के सर्वेक्षण में श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट (Labor Force Survey Report) 2019-2020 का संदर्भ लिया है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी दर 2018-19 में 52.8 फीसदी थी, जो 2019-20 में बढ़कर 57.7 फीसदी हो गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में महिला कार्य बल भागीदारी तुलनात्मक दृष्टि से बढ़ी है, पहले महिला कार्य बल भागीदारी करीब 45 फीसदी थी, जोकि एक साल के दौरान बढ़कर 50 फीसदी हो गई।
विकास दर 8.3 फीसदी रहने का अनुमान
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में वर्ष 2021-22 में विकास दर (Growth Rate) 8.3 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। विधानसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में 65 बिंदु के तहत विशेषताएं बताई गई हैं। प्रचलित कीमतों पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 175173 करोड़ रुपए अनुमानित किया गया है। महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुआ है। इन क्षेत्रों में 8.7 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। विनिर्माण क्षेत्र में 11.3 फीसद की वृद्धि होगी।
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आर्थिक सर्वेक्षण 2021.22 की विषेशताएं इस प्रकार हैं
अग्रिम अनुमान बताते हैं कि वर्ष 2020-21 राज्य की अर्थव्यवस्था में संकुचन के बाद वर्ष 2021-22 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि रहने का अनुमान है। वास्तविक रूप में सकल घरेलू उत्पाद में पूर्व कोविड और कोविड के बाद, वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2021-22 में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में उत्पादन ने पूर्व महामारी के स्तर को पार कर लिया है। वर्ष 2021-22 में स्थिर कीमतों (2011-12) पर सकल घरेलू उत्पाद या वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 124400 करोड़ है] जबकि वर्ष 2020-21 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद का अस्थायी अनुमान 114814 करोड़ है। वर्ष 2021-22 में प्रचलित कीमतों पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद का अनुमान 175173 करोड़ है] जबकि वर्ष 2020-21 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अस्थायी अनुमान के अनुसार 156675 करोड़ था। वर्ष 2020-21 में प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय 1201854 होने का अनुमान है, जोकि राष्ट्रीय अनुमानित प्रति व्यक्ति आय से 51528 अधिक है। वर्ष 2021-22 के दौरान प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 10.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
कोरोन से कृषि और संबद्ध क्षेत्र हुआ कम प्रभावित
महामारी से कृषि और संबद्ध क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुए हैं और वर्ष 2021-22 में इस क्षेत्र में 8.7 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है। अग्रिम अनुमानों के अनुसार, उद्योग क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वर्ष 2021-22 में 11.0 प्रतिशत बढ़ जाएगा, जोकि वर्ष 2020-21 में 6.6 प्रतिशत संकुचित हुआ था। सेवा क्षेत्र महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में पिछले वर्ष की 2.1 प्रतिशत ऋणात्मक वृद्धि की तुलना में वर्ष 2021-22 में 6.3 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र कृषि एवं पशुधन क्षेत्र में वर्ष 2020-21 में स्थिर भाव (2011-12) के अनुसार 8.6 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई। सकल मूल्य वर्धन (जीबीए) वर्ष 2019-20 के 10870 करोड़ की अपेक्षा वर्ष 2020-21 में 19930 रहा, जबकि वर्ष 2021-22 में बागवानी क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि के कारण 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
औद्योगिक क्षेत्र 11.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना
औद्योगिक क्षेत्र में रुझान वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर दिखाने के बाद वर्ष 2021-22 में 11.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। खनन एवं उत्खनन क्षेत्र में वर्ष 2020-21 में 6.8 प्रतिशत ऋणात्मक वृद्धि थी, जबकि वर्ष 2021-22 में 3.2 प्रतिशत की ही ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई। गौण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन] स्थिर भाव (2011-12) के अनुसार वर्ष 2020-21 के 49610 करोड़ की अपेक्षा वर्ष 2021-22 में 355089 करोड़ होना अनुमानित है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का भी रखा ब्यौरा
ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में 96720-88 करोड़ के प्रस्तावित निवेश के साथ विभिन्न क्षेत्रों के 703 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। पहला ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी, 27 दिसंबर, 2019 को शिमला में आयोजित किया गया था] जिसमें 13488 करोड़ के 236 समझौता ज्ञापनों को धरातल पर उतारा गया। दूसरा ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह (दूसरा जीबीसी) 27 दिसंबर 2021 को मंडी में आयोजित किया गया था, जिसमें 28,197 करोड़ के प्रस्तावित निवेश के साथ 287 समझौता ज्ञापन धरातल पर उतारे गए। इन परियोजनाओं के अंतर्गत 80000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार की उम्मीद है। सेवा क्षेत्र सकल मूल्य वर्धन में सेवा क्षेत्र एक तीव्र गति से बढ़ता हुआ एक महत्वपुर्ण अंश है। वर्ष 2021-22 में इस क्षेत्र में पिछले वर्ष की अपेक्षा 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
हिमाचल में पर्यटकों की आमद में हुआ इजाफा
पर्यटन राजस्व और विविध रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश में घरेलू और विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, लेकिन कोविड-19 के प्रभाव के कारणए 2020 में पर्यटकों के आगमन में 81 प्रतिशत की तीव्र कमी आई] परंतु सकारात्मक पक्ष यह है कि दिसंबर, 2021 तक पर्यटकों की आगमन में 75.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। प्रदेश ने जल विद्युत क्षेत्र में कुल 27436 मैगावाट क्षमता का आंकलन किया है। परंतु इसमें से 24567 मैगावाट को ही दोहन योग्य पाया है, शेष क्षमता को पर्यावरण को बचाने, पारिस्थितिक संतुलन एवं विभिन्न सामाजिक कारणों से त्याग कर दिया गया है। राज्य में उद्योग क्षेत्र (55 प्रतिशत कुल बिजली खपत में से) के बाद घरेलू क्षेत्र (27 प्रतिशत) में बिजली की सबसे अधिक खपत होती है।
10,000 मेगावाट अतिरिक्त हरित ऊर्जा जोड़ने पर जोर
राज्य की स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति-2021 में पूर्ण ऊर्जा क्षमता विशेष रूप से हाइड्रो और सोलर के माध्यम से स्वच्छ और हरित ऊर्जा विकास की परिकल्पना की गई है। 2030 तक जल विद्युत] सौर और अन्य हरित ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से 10000 मेगावाट अतिरिक्त हरित ऊर्जा जोड़ने पर बल देती है। इस नीति का उद्देश्य जल विद्युत और सौर परियोजनाओं की योजना और समय पर निष्पादन की सुविधा के लिए ट्रांसमिशन मास्टर प्लान बनाकर राज्य में पर्याप्त और कुशल ट्रांसमिशन नेटवर्क विकसित करना है। यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बल देती है जैसे सौर] पवन] बायोमास और अन्य गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत।
2020-21 में मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत
मुद्रास्फीति में वर्तमान रुझान हिमाचल प्रदेश में मुद्रास्फीति वर्ष 2014 से मध्यम रही हैए वर्ष 2016-17 में 4.6 प्रतिशत थी, जोकि 2020-21 में 5.2 प्रतिशत हो गई। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में (अप्रैल से दिसंबर) संयुक्त मुद्रास्फीति की दर 6.0 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में (अप्रैल से दिसंबर, 2021) यह वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में (अप्रैल से दिसम्बर) के दौरान सीपीआई (ग्रामीण) और सीपीआई (शहरी) सूचकांक कमशः 6.1 और 5.2 प्रतिशत रहा है] जो कि वर्ष 2020-21 में इसी समय अवधि की तुलना में 4.8 और 7.6 प्रतिशत था। सामाजिक क्षेत्र में खर्चों का रुझान सरकार ने माहामारी के दौरान विद्यार्थियों की शिक्षा तक पहुंच बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई। कोविड-19 महामारी द्वारा हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे का भी परीक्षण हुआ।
कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग ने किया बढ़िया काम
महामारी द्वारा बीमारी को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र की अंतर्निहित शक्तियों का प्रदर्शन हुआ। 29 जनवरी, 2022 तक पूरे राज्य में कोविड-19 के संक्रमित मामले 263914 पाए गए, जिनमें से कुल स्वस्थ्य हुए मामलों की संख्या 248802 थी, परंतु 3944 मरीज़ों की दुर्भाग्यवश मौत हो गई। इस माहामारी से लड़ने के लिए 30 जनवरी, 2022 तक कुल 11920817 खुराक दी गई है। हिमाचल में सामाजिक सेवा क्षेत्र पर व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में व्यय की बढ़ोतरी दर्शाती है कि सरकार सामाजिक देखभाल के लिए बचनबद्ध है। सामाजिक सेवाओं पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रुप में व्यय (शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य) निचे दि गई सारणी में दर्शाया गया है ।
सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी)
राज्य ने वर्तमान एसडीजी 3.0 में तमिलनाडु के साथ समग्र रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल किया है। सुशासन सूचकांक एसडीजी के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है, जिसमें हिमाचल प्रदेश को उत्तर पूर्व और पहाड़ी राज्यों में शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में आंका गया है।
रोजगार परिदृश्य
इस सर्वेक्षण में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट 2019-20 पर प्रकाश डाला गया है। इससे पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी दर 2018-19 के 52.8 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 57.7 प्रतिशत हो गई है। पीएलएफएसण् रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार राज्य में महिला कार्यबल भागीदारी दर में 2018-19 के 44.6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 50.3 प्रतिशत हो गई जो कि उल्लेखनीय है। समग्र कार्यबल भागीदारी दर भी 2018-19 के 50.1 प्रतिशत से बढ़कर 2019.20 में 55.6 प्रतिशत हो गई। राज्य में बेरोजगारी दर 2018-19 के 5.2 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 3.7 प्रतिशत हो गई है। इस सर्वेक्षण का डीजिटल प्रारुप दोनों भाषाओं हिन्दी व इंग्लिश में जनता के प्रयोग के लिए उपलब्ध है।
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