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हिमाचल के कर्मचारियों की धमकी, डराना छोड़िए…वेतन विसंगति को करें दूर, नहीं तो आंदोलन करेंगे तेज
Last Updated on March 12, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) संयुक्त कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों (Employees) को छठे वेतन आयोग से हो रहे नुकसान और उस पर सरकार की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की है। महासंघ की तरफ से स्पष्ट किया गया कि छठे वेतन आयोग के लागू होने से हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ है। संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार का रवैया वेतन विसंगतियों (Pay Discrepancies)को दूर करने के लिए काफी उदासीन रहा है। अभी तक सरकार ने जो कमेटी गठित की है, उस कमेटी की ना तो कोई बैठक हुई है और ना ही उसमें कोई आगामी कार्रवाई हो पाई है, जिसमें 2 साल के राइडर को खत्म करना और इनिशियल स्टार्ट की बहाली करना, जो कि 27 सितंबर, 2012 की अधिसूचना के कारण वेतन संशोधन के दौरान लगाई गई थी, जो कि पंजाब (Punjab) से हटकर थी, उसे हटाने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।
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सरकार को कर्मचारियों के देय लाभ शीघ्र प्रदान करने होंगे, वरना संयुक्त कर्मचारी महासंघ प्रदेश व्यापी आंदोलन को और तेज गति देगा। महासंघ ने सरकार और विभाग पर यह भी आरोप लगाया कि संयुक्त कर्मचारी महासंघ (Joint Employees Federation) के पदाधिकारियों को प्रताड़ित करना और उनको आए दिन अलग.अलग तरह के शो कॉज नोटिस देने तथा परेशान करने व डराने के मकसद से बार-बार स्पष्टीकरण के लिए बुलाना कर्मचारी विरोधी कार्य है तथा ट्रेड यूनियन एक्ट (Trade Union Act) का सरासर उल्लंघन है।
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