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सिंघम लेडी टीम अपराधियों को सिखा रही सबक, कॉलर से घसीट कर पहुंचा रही थाने
Last Updated on July 18, 2022 by sintu kumar
भले ही आज महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर रही हैं, मगर पुरुष प्रधान समाज आज भी उन्हें एक महिला होने की नजर में ही देखता है। यही कारण कि किसी बड़ी जिम्मेदारी के लिए महिलाओं को कमतर आंका जाता है और उसे अपनी योग्यता साबित करने के अवसर से वंचित कर दिया जाता है। आज महिला आसमान पर प्लेन को उड़ा रही है। बॉर्डर पर देश की रक्षा कर रही है।
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आज की महिला केवल स्कूलों में टीचर और बैंक आदि में क्लर्क ही नहीं है वह इससे अलग हटकर भी है। महिला अपनी स्वेच्छा से आर्मी में जा रही हैं। अपनी स्वेच्छा से नेवी में जाकर समुद्र को चीर रही हैं। अब महिलाओं की दशा और दिशा दोनों बदली हैं। यदि अभी कोई पुरुष महिलाओं को कमजोर समझकर तंज कसता है तो वह उसकी सरासर भूल है। महिलाएं सरकारी बसें तक दौड़ा रही हैं। यही नहीं ट्रक तक चला रही हैं।
दिल्ली की तेजस्वनी टीम क्रिमिनलों को सिखाती हैं सबक:
अब पुरुष कांस्टेबल ही क्रिमिनलों से दो-चार हाथ कर सकता है ऐसा अगर आप सोचते हैं तो यह आपकी गलत सोच है। पुरुषों की इस सोच को दिल्ली की महिला पुलिस टीम तेजस्विनी ने गलत साबित कर रख दिया है। 52 महिला पुलिस कर्मियों की टीम लेडी सिंघम का काम कर रही हैं। इनका इतना खौफ हो चुका है कि अपराधी दुम दबाकर भागते हुए नजर आते हैं।
यही नहीं इस टीम ने 100 से अधिक क्रिमिनलों को कॉलर से पकड़कर सबक सिखाया है। इस टीम को देखते ही हर कोई कह उठता है कि सुधर कर चलो भाई लेडीज सिंघम टीम (Ladies Singham Team) आ गई है। इस टीम को पिछले वर्ष 11 जुलाई को ही दिल्ली पुलिस के नॉर्थ वेस्ट जिले में 11 थानों में मुहिम शुरू की गई थी। इस मुहिम में कांस्टेबल और हैडकांस्टेबल को जोड़ा गया है। यह पहली बार ही हुआ है जब किसी महिला टीम को ग्राउंड ड्यूटी सौंपी गई है। अब यह टीम गुंडों और बदमाशों को सबक सिखा रही है। अभी तक यह टीम 183 शिकायतों का निपटारा कर चुकी है।
इस टीम को नॉर्थ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट की डीसीपी उषा रंगनानी ने तैयार किया है। उन्होंने अपना अनुभव शेयर किया कि जब में पहली बार दफ्तर पहुंची तो पाया कि अधिकतर महिला कांस्टेबल डेस्क ड्यूटी में शामिल थीं। उन्हें फील्ड में काम करने का ज्यादा नॉलेज नहीं था। इसी समय तेजस्विनी टीम बनाने का ख्याल मेरे मन में आ गया। इस टीम में आने के लिए कई लड़कियां तो स्वयं इच्छुक थीं, लेकिन इसके अतिरिक्त हर थाने से दो महिला कांस्टेबलों को भी इसमें शामिल किया गया।
अब आलम यह है कि इस टीम की सक्रिय कारगुजारी देखकर कई अन्य लड़कियां भी इस टीम में शामिल होना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि कई महिला कांस्टेबल अपनी काबिलियत के दम पर हेड कांस्टेबल बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सीनियर्स को अपने जूनियर्स की स्थिति को समझना चाहिए। मैं एक ऑफिसर के रूप में भर्ती हुई थी तो मुझे सारी सुविधाएं मिलीं लेकिन जूनियर्स को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए सीनियर्स को समझना होगा कि लड़कियां भी अपना दायित्व बाखूवी निभा सकती हैं। वे भी फील्ड ड्यूटी कर सकती हैं। वे भी क्रिमीनल को दबोच सकती हैं। ये लड़कियां निडर होकर अपनी ड्यूटी करती हैं। यही नहीं रात के तीन बजे भी निडर होकर पेट्रोलिंग तक करती हैं।
दिल्ली आए दिन हाई अलर्ट पर रहती है। यहां क्राइम भी ज्यादा होता है। मगर ये लेडीज सिंघम निडर होकर अपना काम करती हैं। डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि 15 अगस्त के लिए भी ये लड़कियां आतंक विरोधी तैयारी में लगी हुई हैं। ये महिला टीम घर-घर जाकर घरेलू हिंसा के मामलों को सॉल्व करती हैं। यही कारण है कि अब इस प्रकार के मामलों में 37 प्रतिशत की कमी आई है। अब इनकी प्रसिद्धि इतनी हो चुकी है कि लोग अब इनके साथ फोटो तक खिंचवाते हैं। इन तेजस्विनियों ने सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग ली है।
16 से वर्ष से दिल्ली पुलिस में सेवा दे रही अनुराधा चौधरी ने बताया कि इससे पहले उसे संतरी की ड्यूटी में ही भेजा जाता था। मगर आज वह बीट की ड्यूटी दे रही हैं। अनुराधा चौधरी आदर्श नगर थाने में तैनात है। वहीं, कांस्टेबल किरण ने बताया कि एक दिन वह अपने एरिया में पेट्रोलिंग पर थी। तभी दो मनचले लड़के तेज स्पीड से स्कूटी चलाते हुए मेरे नजदीक से गुजरे। मुझे उनपर शक हुआ और मैंने उनका पीछा किया। तभी पता चला कि वे दोनों एक लड़के का मोबाइल छीनकर भाग रहे थे। मैंने थोड़ी दूर उनका पीछा करने के बाद उन्हें पकड़ लिया।
वहीं, दिल्ली पुलिस में 13 साल से सेवाएं देने वाली वंदना दूबे बच्चों को गुड टच और बैड टच (Good Touch And Bad Touch) का नॉलेज देती हैं। इसके साथ ही वह लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी देती हैं। उसने बताया कि जब वह पेट्रोलिंग पर थी तो उसी दौरान एक फल बेचने वाले ने बताया कि एक मनचला लड़की को काफी परेशान कर रहा है। पता लगते ही उस लड़की को पुलिस बूथ तक लाया गया और उसने बताया कि एक लड़का उसे काफी परेशान कर रहा है। मैं अपनी साथी हेड कांस्टेबल अनुराधा के साथ उस मनचले को ढूंढने के लिए निकली। मनचले को कॉलर से पकड़ते हुए पुलिस बूथ तक लेकर आए। एएसआई को बुलाकर आरोपी को आदर्श नगर थाने भेजाए जहां उसपर आगे की कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट दर्ज हुई। वहीं, भरतनगर थाने में तैनात हेड कांस्टेबल किरण बाला पिछले 13 सालों से अपनी सेवाएं दे रही हैं। उसने कई व्यापारियों की अकल को ठिकाने लाया है।