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पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां, वरना मिलेगा श्राप
देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है।पितृ पक्ष (Pitru Paksha) इन दिनों चल रहे हैं। इस दौरान पितरों की इच्छापूर्ति और उनका श्राद्ध कर पितृ दोष को दूर किया जा सकता है। सनातन परंपरा में पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान सभी पितर यमलोक से पृथ्वी पर आते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके वंशज उन्हें तृप्त करने के लिए सभी नियमों का पालन करते हुए उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण एवं दान करेंगे।
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पितृपक्ष में जो व्यक्ति अपने पुरखों या फिर दिवंगत व्यक्ति का को कोसता है या फिर उनका अपमान करता है, ऐसे व्यक्ति के यहां से पितर नाराज होकर वापस लौट जाते हैं, जिसका उसे भविष्य में बुरे परिणाम भुगतना पड़ता है।
मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पितर हमसे मिलने के लिए कीट-पतंगे या फिर जानवर आदि के रूप में आते हैं। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी किसी भी जानवर या कीट-पतंगों आदि को मारना या सताना नहीं चाहिए।
पितृपक्ष में घर में किसी भी तरह की कलह को ना पैदा होने दें। परिजनों के साथ झगड़ों से पितरों को कष्ट पहुंचता है और वे दु:खी होकर बगैर अपना आशीर्वाद दिए लौट जाते हैं।
पितृपक्ष में पितरों का विधि-विधान से श्राद्ध करने के साथ ब्राह्मणों को भोजन करा कर अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र एवं दक्षिणा जरूर दान करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि ऐसा करते समय भूलकर भी किसी भी प्रकार अभिमान या दिखावा नहीं करना चाहिए।
पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी किसी भी प्रकार का नशा, मांसाहार, आदि नहीं करना चाहिए. पितृपक्ष के दौरान प्याज, लहसुन, मसालेदार भोजन, लौकी, आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध के नियम को निभा रहे व्यक्ति को पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।