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ऊना सदर विधानसभा क्षेत्र में आज तक आगे नहीं आई कोई महिला उम्मीदवार
ऊना। जिला के सदर विधानसभा क्षेत्र ने हमेशा राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की है। मगर यहां एक विशेष बात यह रही कि पिछले 60 साल से किसी भी राजनीतिक दल ने महिला (Women) को आगे आने का मौका नहीं दिया। हालांकि ऊना की सदर विधानसभा क्षेत्र में 844419 वोटर (844419 Voters in Una’s Sadar Assembly Constituency) हैं। ऊना विधानसभा क्षेत्र में 98 पोलिंग बूथ है। बताया जा रहा है कि ऊना सदर विधानसभा क्षेत्र में 16 अगस्त 2022 तक की अपडेटड मतदाता सूची के अनुसार विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 84419 है। इसमें 41654 पुरुष व 42765 महिला मतदाता शामिल हैं। अगर विधानसभा क्षेत्र में दिग्गजों की बात करें तो इस बार लगभग तीसरी बार बीजेपी के सतपाल सिंह सत्ती और कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा (Satpal Singh Satti of BJP and Satpal Singh Raizada of Congress) के बीच मुकाबला होने जा रहा है। इस बार यहां से आम आदमी पार्टी, बसपा और शिवसेना भी जरूर अपनी किस्तम आजमाएंगी। ये दल सेंध तो जरूर लगाएंगे। यदि हम शिवसेना की बात करें तो शिवसेना ने यहां राजीव मैनन को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा तक कर दी है।
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वहीं आम आदमी और बसपा (BSP) इस बारे में अभी चुप्पी साधे हुए हैं। वर्ष 2003 के बाद बीजेपी के सतपाल सिंह सत्ती ने ही ऊना सदर में अपनी जीत दर्ज करवाई है। वर्ष 2003 में उन्होंने वीरेंद्र गौतम (Virendra Gautam) को मात दी थी। तब यह मात्र 51 मतों से जीते थे। इसके पश्चात यहां वर्ष 2007 में 11852 मतों के अंतर तथा 2012 में 4746 मतों से अपनी जीत दर्ज करवाई। वहीं वर्ष 2017 में सतपाल सिंह रायजादा ने सतपाल सत्ती को 3196 मतों से हरा दिया। यदि बात करें तो यहां साठ सालों के अंतराल में कांग्रेस (Congress) ने 13 विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस ने 5-5 बार अपनी जीत दर्ज करवाई है। वहीं एक बार यहां जनता पार्टी और दो बार यहां से आजाद उम्मीदवार भी जीत चुके हैं। वहीं पूर्व मंत्री ठाकुर देशराज यहां से दो मर्तबा बीजेपी और एक बार जनता पार्टी की टिकट पर कामयाब रहे। अगर सतपाल सिंह सत्ती की बात की जाए तो वह यहां से तीन बार विधायक बन चुके हैं।
सतपाल राजयादा सिर्फ एक बार विधायक रहे वहीं सुरेंद्र नाथ गौतम ने भी यहां से सफलता का स्वाद चखा है। वह यहां 1962 से 1966 तक पंजाब असेंबली में ऊना विधानसभा से तथा 1966 से 11967 तक ऊना के हिमाचल में विलय के बाद हिमाचल विधानसभा क्षेत्र के लिए एक बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक रह चुके हैं। इसी प्रकार मास्टर प्रकाश चंद (Master Prakash Chand) 1967 में आजाद व 1972 में कांग्रेस की टिकट पर लड़कर विधायक रह चुके हैं। इसी प्रकार वीरेंद्र गौतम 1985 व 1998 में कांग्रेस की टिकट पर दो बार तथा इसी प्रकार सन 1993 में ओपी रत्न कांग्रेस की टिकट से यहां से विधायक रहे। वहीं इसके बाद प्रकाश चंद ने ऊना के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। इसी के साथ वरिष्ठ नेता सुरेंद्र नाथ गौतम पंजाब असेंबली में ऊना का प्रतिनिधित्व करते रहे। उनकी गिनती वीरभद्र (Virbhadra) के कट्टर समर्थकों में की जाती थी। वहीं उन्होंने सहकारिता आंदोलन की लड़ाई भी लड़ी। वह लंबे समय तक कांगड़ा बैंक के चेयरमैन भी रहे। वहीं पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह के प्रेस सचिव भी रहे। ओपी रत्न ने सन 1993 में वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद ना केवल वीरेंद्र गौतम कटवाया, बल्कि चुनाव भी जीता। ऊना की राजनीतिक लड़ाई 70 से 80 के दशक के बीच ठाकुर देशराज व वीरेंद्र गौतम के मध्य रहीए वहीं 90 के दशक में ओपी रतन व वीरेंद्र गौतम के बीच द्वंद रहा।
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