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फतेहपुर का रहा है इतिहास, बाहरी प्रत्याशी नहीं ले पाया जीत का स्वाद
फतेहपुर। हिमाचल की सत्ता का रास्ता जिला कांगड़ा से होकर गुजरता है। इस जिला को जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल (Political Party) एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं। इसी जिला कांगड़ा में एक ऐसी भी सीट है, जहां की जनता बाहरी प्रत्याशी को नकारती आई है। यह सीट जिला कांगड़ा की फतेहपुर विधानसभा सीट (Fatehpur vidhan sabha constituency) है। इस सीट पर बाहरी प्रत्याशी (Outside Candidate) कभी जीत का स्वाद नहीं चख पाया है। बीजेपी पिछले 13 सालों से बाहरी व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाकर फतेहपुर में भेजती आई है और हार का मुंह देखती रही है। इतिहास इसका गवाह है। बीजेपी की यही गलती पिछले 13 सालों से उसके वनवास का कारण भी बनी हुई है। इस बार भी बीजेपी (BJP) ने पिछली हारों को दरकिनार करते हुए ऐसी ही गलती दोहराई है। बीजेपी ने इस बार नूरपुर के विधायक और वन मंत्री राकेश पठानिया (Rakesh Pathania) को फतेहपुर से अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। अब देखना यह है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है, या फिर राकेश पठानिया एक नया इतिहास यहां से लिखते हैं।
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अगर हम इतिहास पर जाए तो 2012 में चुनाव के परिणामों की घोषणा 20 दिसंबर 2012 को की गई। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 68 सीटों हेतु मतदान हुआ था। कांग्रेस ने 36 सीटों पर जीत दर्ज की, बीजेपी को 26 सीटों पर जीत मिलीए जबकि निर्दलीय 5 सीटों पर और हिमाचल लोकहित कांग्रेस 1 सीट पर विजयी रही। मगर तब बीजेपी ने फतेहपुर से बलदेव ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया था, जिस पर बाहरी दूत होने का आरोप था। बलदेव ठाकुर जवाली विधानसभा के भोल पंचायत से संबंध रखते हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया से हुआ था और बलदेव ठाकुर को हार का मुंह देखना पड़ा। उसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कृपाल परमार (Kripal Parmar) को मैदान में उतारा। लेकिन कृपाल परमार को टिकट मिलते ही उन पर भी बाहरी दूत होने के नाम पर विरोध होने लगा।
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इन चुनावों में बीजेपी के बलदेव आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतर गए। नतीजा यह निकला कि इस चुनाव में भी स्वर्गीय सुजानसिंह पठानिया (Sujan Singh Pathania) की जीत हुई। हालांकि चुनाव के समय सुजान सिंह पठानिया बीमार थे और वह घर से बाहर भी नहीं निकले, बावजूद इसके उन्होंने 1274 मतों से चुनाव जीत लिया। यही हाल 2021 के उपचुनाव में हुआ। बीजेपी ने यहां से बलदेव ठाकुर (Baldev Thakur) को मैदान में उतारा और बाहरी दूत का विरोध जताते हुए लोगों ने उन्हें फिर नकार दिया। इसी गलती को अब बीजेपी ने एक बार फिर से दोहराया है। अब देखना यह है कि चुनावी रण में उतरे राकेश पठानिया यहां नया इतिहास लिख पाएंगे। या फिर इतिहास अपने आप को दोहराएगा।
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बता दें कि हिमाचल विधानसभा चुनाव में फतेहपुर से चार धुरंधर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। बीजेपी ने राकेश पठानिया को मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने भवानी पठानिया (Bhavani Pathania) पर दाव खेला है। वहीं कृपाल परमार और राजन सुशांत (Rajan Sushant) भी चुनावी रण में कूद चुके हैं। अब देखना यह है कि इन चारों धुरंधरों में किसके सिर फतेहपुर की सीट का सेहरा सजेगा।