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हेडफोन यूज करते हैं तो आज ही छोड़ें यह आदत, हो सकते हैं बहरे
आजकल हर कोई हेडफोन (headphones) का यूज कर रहा है। या तो फोन सुनने के लिए या फिर फोन पर बजने वाले गानों को सुनने के लिए। मगर क्या आपको पता है कि यह हेडफोन आपके लिए एक बहुत खतरा है। रिसर्च में सामने आया है कि हेडफोन जब यूज करते हैं कि तो आदमी म्यूजिक की धुन में ही रम जाता है। बाहरी दुनिया से वह कट जाता है। यही कारण है कि कई हादसे भी हो जाते हैं। बहरहाल आज आपको हेडफोन के नुकसान बताने जा रहे हैं। यह हेडफोन युवाओं के लिए कितने खतरनाक हैं यह हालिया रिसर्च (Research) में सामने आया है। बताया जा रहा है कि विश्व के एक अरब युवाओं पर बहरे होने का खतरा मंडराने लगा है। इस संबंध में बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में इस संबंध में एक रिसर्च को प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि हेडफोन और ईयरबड्स कितने खतरनाक हैं। इसमें बताया गया है कि इससे सुनने की क्षमता कम होने का खतरा है। वहीं इस संबंध में अमेरिका के साउथ कैरोलिना की मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सहित अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा है कि इसके लिए विश्व भर की सरकारों को नियम निर्धारित करने की जरूरत है।
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टीम ने कहा है कि यदि सरकारें ऐसा करती हैं तो दुनिया को बहरेपन से बचाया जा सकता है। वहीं एक शोध के अनुसार इस वक्त दुनिया में 430 मिलियन लोग बहरेपन का शिकार हैं। यह अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लगाया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इससे सुनने की शक्ति प्रभावित हो रही है। शोध से पता चलता है कि पीएलडी इस्तेमाल करने से अकसर 105 डेसिबल के रूप में वॉल्यूम का प्रयोग होता है। इसी के साथ मनोरंजन स्थलों पर यह औसत साउंड लेवल 104 से 112 डीबी तक होता है। जबकि युवाओं को 80 कठ और बच्चों के लिए 75 डीबी (75 dB) में साउंड लेबल तय किया गया है।
शोधकर्ताओं ने टीनेजर और एडल्ट (teen and adult) के मध्य असुरक्षित सुनने के चलन का पता लगाया। उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश और रूसी में प्रकाशित रिसर्च डेटाबेस का पता लगया, जिसमें 12.34 साल के लोग शामिल थे। इस शोध ने पिछले दो दशकों में अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच और रूसी में प्रकाशित 33 अध्ययनों के आंकड़ों को देखाए अपने शोध में 12.34 आयु वर्ग के 19,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया। इसमें पाया गया कि स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के साथ हेडफोन का उपयोग करते समय 24 प्रतिशत युवाओं में कम सुनने की दिक्कत थी। जबकि 48 प्रतिशत मनोरंजन स्थलों जैसे संगीत कार्यक्रम या नाइट क्लबों में तेज शोर का वजह से भी लोगों में सुनने की शक्ति की हानी थी। स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि 670,000 से 1.35 अरब युवाओं के बीच बहरेपन का जोखिम हो सकता है। बहरेपन का शिकार होने से बचने के लिए जरूरी है कि वॉल्यूम कम करके और लिमिट में चीजों को सुनना सही होगा। हेडफोन यूजर्स को सेटिंग्स का इस्तेमाल करना चाहिए फिर साउंड लेवल पर नजर रखना चाहिए।