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यूरोप की अल्पाइन पर्वत की श्रृंखलाओं में छिपा है एलियन होने का राज
एलियन (alien) का नाम सुनते ही मन में कल्पनाएं हिलोरे मारने लगती हैं। दिमाग सोचने लगता है कि आखिर में एलियन हैं कि नहीं। अगर हैं तो उनका स्वरूप कैसा है। वे क्या चाहते हैं। उनका मकसद क्या होता है। वे किस ग्रह से संबंध रखते हैं। क्या एलियन खतरनाक होते हैं। ऐसे ढेरों प्रश्न मानसिक पटल पर घूमने लगते हैं और दिमाग इनका हल ढूंढने का प्रयास करता है।हालांकि ये दावे किए जाते रहे हैं कि कहीं-कहीं एलियन का दीदार हुआ है। मगर ये दावे कितने सच्चे हैं, इनका अभी तक सही ढंग से आकलन नहीं हो सका। यह भी एक धारणा है कि एलियंस से जुड़ा राज युरोप के अल्पलाइन पर्वत की कंदराओं में छिपा हुआ है। इस संबंध में एक रिसर्च (Research) भी की जा रही है। इस संबंध जियोजॉलिस्ट कारा मैग्नाबोस्को (Cara Magnabosco) अल्पाइन पर्वत रेंज के गहरे इलाकों में ऐसी जगहों से पानी के सैंप ल एकत्र कर रही हैं, जहां लाखों साल से दिन नहीं हुआ। आपको अचरज होगा कि इन जगहों पर सूर्य की रोशनी ही नहीं पहुंची है। इन सैंपलों में ऐसे प्राचीन सूक्ष्म जीवों की खोज की जा रही है जो धरती की सतह पर पाए जाने सूक्ष्म जीवों से काफी अलग हैं।
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वहीं इस संबंध में स्पेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट (Report) में सामने आया है कि धरती पर मौजूद हर जीव के लिए ऑक्सीजन (oxygen) बहुत ही जरूरी होती है। लेकिन कारा की ओर से जिन सूक्ष्मजीवों की पहचान की जा रही है, उन्हें जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती। इस संबंध में वैज्ञानिकों का मानना है कि वे काफी हद तक उन जैसे दिख सकते हैं जो 3.5 अरब साल पहले हमारे ग्रह पर सबसे पहले उभरे थे। उस समय पृथ्वी के वायुमंडल में बहुत कम ऑक्सीजन थी। कारा मैग्नाबोस्को मानता है कि अल्पाइन के पहाड़ों पर जहां-जहां नम घाटियां हैं, वहां पर मौजूद सूक्ष्म जीव सौर मंडल और अन्य ग्रहों के संबंध जरूरी जानकारी मुहैया करवा सकते हैं। यह भी अचरज वाली बात है कि वैज्ञानिक मंगल ग्रह और शनि व बृहस्पति के बर्फ से ढके हुए चंद्रमा को एक्सप्लोर कर सकते है।
इस संबंध में कारा का मानना है कि यदि मान लो किसी ग्रह पर अगर जीवन नहीं है तो वहां क्या प्रोडक्ट्स हो सकते हैं। यानी कि ऐसी जगहों पर पानी, पत्थर का रिएक्शन कैसा होता होगा। यह भी रोचक है कि इस संबंध में कारा ने जिस पानी में सूक्ष्मजीवों की तलाश की है, वह पानी पहली नजर नल से बहने वाले पानी या बारिश के पानी जैसा दिखता है। मगर उपकरणों से पता चलता है कि वह वास्तव में बहुत ही अलग है। यह बहुत ज्यादा खारा है। जमीन पर पाए जाने पानी तुलना में इसमें ऑक्सीजन कम घुलती है। वहीं कारा की ओर से जहां से सैंपल जुटाए गए हैं, वह एक टनल है। बेडरेटा (Bedretta) नाम की इस टनल में दीवारों से पानी टपकता है और लाखों करोड़ों साल पुराना है। वहीं शोधकर्ता इस बात की जानकारी लगाना चाहते हैं कि इस धरती पर सबसे पहले पनपने वाले जीव कहां से आए। क्या वह पृथ्वी की सतह के नीचे चले गए। क्या अन्य ग्रहों पर ऐसा कुछ हो सकता है। एलियंस की तलाश में यह रिसर्च भविष्य के लिए मददगार बन सकती है।