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हिमाचल की त्रासदी: रोज चलता है सर्च ऑपरेशन, शाम को टूट जाती हैं उम्मीदें
मंडी (वीरेंद्र भारद्वाज)। सुबह होते ही प्रशासन की मशीनरी (Machinery) बड़े-बड़े पत्थरों और मलबे को हटाने में जुट जाती है। देर शाम तक काम चलता रहता है। अपने खोए परिजनों को ढूंढ़ने (Relatives Missing in Himachal Flood) के लिए लोग हर रोज मशीनों के पास इसी उम्मीद के साथ बैठे रहते हैं कि आज उनके लापता परिजनों का पता चल जाएगा। लेकिन रात होने से पहले उम्मीदें टूट जाती हैं। जिले में प्राकृति आपदा (Himachal Calamity) में जो 6 लोग 14 अगस्त से लापता हैं, उसमें 6 महीने की दुधमुंही बच्ची भी शामिल है।
मशीनों पर भरोसा है
लापता लोग मंडी (Mandi) सदर उपमंडल के तहत आने वाले मसेरना और सांबल गांव में रहते थे। मसेरना गांव में 17 वर्षीय कृतिका ठाकुर अपनी 61 वर्षीय नानी मीना देवी के साथ तड़के गरही नींद में घर समेत बह गई। परिजन बता रहे हैं कि वे अपने स्तर पर हर जगह दोनों की तलाश कर चुके हैं। फिलहाल सिर्फ मशीनों पर भरोसा है। घर के साथ वाली गौशाला में बहे पशुओं के शव मिल गए, लेकिन इनका पता नहीं चल पा रहा है।
मां, बेटी और घर सब बह गए
मसेरना की तरह ही सांबल गांव में भी रोजाना सर्च ऑपरेशन (Search Operation) चलाया जा रहा है। गांव के 4 लोग अभी भी लापता हैं। हाल में दो प्रवासी मजदूरों के शव बरामद हो गए थे। लापता 4 लोगों में एक 6 महीने की दुधमुंही बच्ची (6 month Old Child) भी शामिल है।
लापता लोगों में तीन एक ही परिवार के हैं। इनमें 18 वर्षीय मोनिका, उसकी 6 महीने की बच्ची सानिया और 17 वर्षीय ननद रविता कुमारी शामिल हैं। मोनिका अपनी 6 महीने की बच्ची को लाने के लिए घर के अंदर गई और इतने में पूरा घर ढह गया (House Collapsed)। एक प्रवासी मजदूर भी यहां पर लापता है। इन सभी को तलाश करने के लिए सर्च ऑपरेशन चला हुआ है।
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