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हाईकोर्ट के सख्त आदेश: पेंशन देने में देरी करने वाले अफसरों से वसूलें 6% ब्याज
शिमला। पेंशन देने में देरी के लिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने मंगलवार को बेहद सख्त रूप अख्तियार किया। एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता (Petitioner) को पेंशन देने में देरी के लिए (Delay in Providing Pension) जिम्मेदार अफसरों से 6% ब्याज की राशि वसूली जाए। ब्याज की यह राशि याचिकाकर्ता को अदा की जाए।
न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने याचिकाकर्ता को छह फीसदी ब्याज सहित सभी सेवानिवृत्ति लाभ देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिए कि वह उन संबंधित कर्मियों के खिलाफ स्वतंत्र और निष्पक्षता से जांच करें, जिनकी वजह से याचिकाकर्ता को पेंशन संबंधी लाभ प्राप्त करने में देरी हुई। अदालत ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि ब्याज की राशि दोषी अधिकारियों से वसूली जाए।
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ब्याज चुकाने में सार्वजनिक पैसे का उपयोग नहीं कर सकते
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि सेवानिवृत्ति लाभों (Retirement Benefits) के भुगतान में देरी होने से संबंधित कर्मी ब्याज का हकदार हो जाता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ब्याज की राशि की अदायगी के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग नहीं किया जा सकता। अपने कर्तव्यों के निर्वहन में देरी के कारण सरकार को होने वाले नुकसान की भरपाई संबंधित कर्मी से निश्चित तौर पर होनी चाहिए।
रिटायरमेंट के 2 साल गुजरने के बाद भी हकदारी नहीं मिली
अदालत ने सेवानिवृत्त चिकित्सा अधीक्षक सोलन की ओर से पेश किए रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ता ने 28 वर्ष से अधिक समय तक सरकार को अपनी सेवाएं दीं। नियमों के अनुसार याचिकाकर्ता सभी सेवानिवृत्ति लाभ पाने का हक रखता था। याचिकाकर्ता को दिए गए सेवानिवृत्ति लाभों का लेखा-जोखा देखने के बाद अदालत ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को निराशाजनक और दर्दनाक बताया। सेवानिवृत्त होने के दो साल तक याचिकाकर्ता को सारे लाभ नहीं दिए गए। याचिकाकर्ता को मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।