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हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन, देश को बचाया था भुखमरी से
नई दिल्ली। भारत के प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन (Renowned Agriculture Scientist MS Swaminathan) का गुरुवार को चेन्नई में निधन हो गया। वे 98 साल के थे। स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) का जनक माना जाता है। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सन 1972 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। पीएम नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने एमएस स्वामीनाथन के निधन पर श्रद्धांजलि दी है।
इस तरह भारत को बचाया भुखमरी से
भारत में अकाल और सूखे (Drought And Famine) की वजह से कई सालों तक भुखमरी (Huger Death) के हालात पैदा हुए। एमएस स्वामीनाथन ने देश की इस समस्या को पहचाना। उन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म की पहचान की। ये मैक्सिकन गेहूं की एक किस्म थी। उनके इस कदम के बाद भारत में भुखमरी की समस्या खत्म हुई। गेंहू उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बना। यही वजह है कि स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है।
Deeply saddened by the demise of Dr. MS Swaminathan Ji. At a very critical period in our nation’s history, his groundbreaking work in agriculture transformed the lives of millions and ensured food security for our nation. pic.twitter.com/BjLxHtAjC4
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
पीएम मोदी ने ‘X’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।’
कई पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
एमएस स्वामीनाथन की पहल के बाद हरित क्रांति के तहत देशभर के किसानों गेहूं और चावल के ज्यादा उपज वाले बीज लगाना शुरू किए। खेती में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल होना शुरू हुआ। वैज्ञानिक विधियों से खेती होना शुरू हुई। इसी का नतीजा था कि दुनिया का सबसे ज्यादा खाद्यान्न की कमी वाला देश महज 25 सालों में इस कलंक से उबरकर आत्मनिर्भर (Self Reliant in Food Production) बन गया। इस क्रांति का श्रेय एमएस स्वामीनाथन को जाता है। उन्हें कृषि और विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 1989 में ‘पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।