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खुदकुशी को मजबूर करने वाले आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या (Suicide) करने को मजबूर कर देने वाले दो आरोपियों की अग्रिम जमानत (Interim bail) याचिकाएं खारिज कर दी हैं। न्यायाधीश राकेश कैंथला ने आत्महत्या को मजबूर कर देने वाले कृत्य को जघन्य अपराध बताते हुए कहा कि प्रार्थियों के कारण एक बहुमूल्य जिंदगी की हानि हुई।
मामले के अनुसार 12 सितम्बर को बद्दी (Baddi) में एक व्यक्ति ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को सूचित करने पर मामले की जांच की गई। मृतक से एक सुसाइड नोट (Suicide Note) मिला जिसमें दोनों प्रार्थियों को मृत्यु का दोषी ठहराया गया था। मृतक के बेटे ने पुलिस को दिए ब्यान में बताया कि इसके पिता रेडियेटर रिपेयर की दुकान चलाते थे। दोनों आरोपियों ने मृतक को 20 हजार रुपए उधार दे रखे थे। यह राशि 60 दिनों में ब्याज सहित 24 हजार लौटानी थी। परंतु दोनों आरोपी मृतक पर 10 दिनों के भीतर उक्त राशि लौटाने का दबाव बनाने लगे। मृतक ने 24 हजार रुपए लौटा दिए परंतु उसे बताया गया कि राशि ब्याज सहित 88 हजार रुपए हो गई। इसलिए यदि यह रकम नहीं लौटाई गई तो उसका घर बेच कर यह राशि वसूल ली जाएगी।
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पुलिस जांच में सामने आया सच
पुलिस जांच में पता चला कि एक प्रार्थी ने 19400 रुपए और दूसरे ने 9000 रुपए 10 फीसदी मासिक ब्याज पर ऋण के रूप में मृतक को दिए थे। दोनों आरोपियों ने कई लोगों को ऐसी ही शर्तों पर उधार दे रखा है। पुलिस जांच में पाया गया कि दोनों प्रार्थी अत्यधिक ब्याज पर लोगों को उधार दिया करते हैं। उन्होंने एक अकाउंट बुक भी बना रखी थी जिसमें मृतक के बेटे के नाम से 88 हजार रुपए लिए जाने बारे एंट्री की गई थी। दोनों आरोपी मृतक को बार बार बुलाते और उधार चुकाने का दबाव बनाते थे। प्रार्थियों ने अपने खिलाफ लगाए सभी आरोपों से इंकार किया और कहा कि मामले में जांच भी पूरी हो चुकी है इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने से कोई लाभ नहीं होगा बल्कि उनकी स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने आरोपों को गंभीर बताते हुए प्रार्थियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी।