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Lok Sabha Election 2024: फिर चुनावी मोर्चा संभालने की तैयारी में ब्रिगेडियर साहब, क्या पार्टी देगी सरदारी ?
Brigadier Khushal Thakur: मंडी। कारगिल युद्ध (Kargil War) के हीरो के नाम से अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (Brigadier Khushal Thakur) ने एक बार फिर से चुनावी मोर्चा संभालने की तैयारी कर ली है। 2021 में हुए उपचुनाव में ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को BJP ने अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था लेकिन उन्हें 7,490 मतों के मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। स्व. वीरभद्र सिंह के नाम पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) को श्रद्धांजलि के रूप में जो वोट मिले, उसकी चोट ब्रिगेडियर साहब (Brigadier Saheb) को सहनी पड़ी। अब 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने फिर से तैयारी कर ली है और शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी बात रखकर दावेदारी भी जता दी है। लेकिन पार्टी इनकी दावेदारी को सरदारी में बदलती है या नहीं इसका पता भविष्य में ही चल पाएगा। चुनाव हारने के बाद से ही ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर लगातार जनता के बीच में रहे। इन्हें कई कार्यक्रमों में मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर आज भी बुलाया जाता है क्योंकि कारगिल हीरो के नाम से इनकी अपनी एक अलग पहचान है।
जानिए क्यों कहा जाता है कारगिल युद्ध का हीरो
कारगिल युद्ध के दौरान ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने 18 ग्रेनेडियर यूनिट की कमान संभाली थी। इस यूनिट ने टाइगर हिल और तोलोलिंग की चोटियों से दुश्मनों को खदेड़कर वहां पर अपना कब्जा जमाया था। यही इस युद्ध को जीतने का टर्निंग प्वाइंट (Turning Point) भी बना। इनकी यूनिट को सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार मिले और खुद इन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा विदेशी जमीन सिरालेयोन में विद्रोहियों द्वारा बंदी बनाए गए 234 भारतीयों सहित कुल 240 जवानों को छुड़ाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन खुखरी चलाया जिसकी कमान भी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को सौंपी गई। इन्होंने इस ऑपरेशन को भी बखूबी अंजाम दिया और वहां शांति कायम करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। भारतीय शांति सेना मिशन के तहत 1989-90 में श्रीलंका में लिट्टे के विरुद्ध लड़ाई में वीरता पुरस्कार (Gallantry Award) मिला। आपरेशन रक्षक में कश्मीर में आतंकवादियों के विरुद्ध अभियान चलाया।
पटवारी से ब्रिगेडियर और फिर नेता बनने तक का सफर
9 सितंबर 1954 को जन्में मंडी जिला के नगवाईं गांव निवासी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने कंप्यूटर साइंस और मानवाधिकार में पोस्ट ग्रेजुएशन की है। 1972 में बतौर पटवारी सिलेक्ट हुए और 3 वर्षों तक सेवाएं दी। 1975 में सैन्य अधिकारी बने और 34 वर्षों तक सेवाएं देते हुए ब्रिगेडियर के पद से वर्ष 2010 में रिटायर हुए। 2010 से 2013 तक अटल टनल रोहतांग की निर्माण कंपनी में जीएम रहे। 2013 तक ब्रिगेडियर साहब का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। 2014 और 2019 में बीजेपी के पैनल में इनका नाम रहा। जयराम सरकार में हिमाचल प्रदेश एक्स सर्विसमैन कारपोरेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक बने।
तीन वर्षों तक इस पद पर रहने के बाद वर्ष 2021 में उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी बने। 2014 में फोरलेन संघर्ष समिति के साथ जुड़े और विस्थापितों के हकों के लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन सरकार का हिस्सा बनने पर इस बात की बडी चर्चा रही कि विस्थापितों के नाम पर राजनीति करने के बाद उन्हें भूल गए। उपचुनाव में हार का एक कारण यह भी माना जाता है। ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर एक शांत और मृदुभाषी स्वभाव के व्यक्ति हैं। हर व्यक्ति के साथ शालीनता और मधुरता के साथ मिलना और उसके साथ अपनेपन की तरह रहना ही उन्हें लोगों से जोड़ता है।
-वीरेंद्र भारद्वाज