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पीरनिगाह में चादर और झंडे की रस्म के बाद शुरू हुआ बैसाखी मेला
ऊना। उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पीरनिगाह (Pirnigah) में शनिवार को बैसाखी के मौके पर मेले का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंदिर परिसर में ढोल नगाड़ों के बीच झंडा चढ़ाने की रस्म अदा की गई। जबकि इसके साथ ही भव्य आरती का भी आयोजन हुआ। मेले को लेकर मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। पंडित निगाहिया के नाम पर प्रसिद्ध पीर निगाह मंदिर में सुबह सवेरे विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद झंडा चढ़ाया गया। जबकि इसके बाद मंदिर परिसर में ढोल नगाड़ों के साथ भव्य आरती ( Aarti)भी हुई।
मंदिर परिसर को फूलों से सजाया गया
पंडित निगाईया की समाधि पर चादर चढ़ाने और ध्वजारोहण से शुरू हुए मेले के दौरान हजारों की संख्या में हिमाचल ही नहीं पंजाब और हरियाणा सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालु मंदिर परिसर पहुंचे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पीरनिगाह में माथा टेका और मन्नते भी मांगी। बैसाखी के पर्व पर दूरदराज इलाकों से श्रद्धालु गेंहू की फसल का कुछ हिस्सा लेकर पीर बाबा के अर्पण करते है। इस अवसर पर मंदिर परिसर को रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया था।
पांडव काल में बनाया गया था धार्मिक स्थल
इतिहास के जानकारों के मुताबिक यह धार्मिक स्थल पांडव काल में बनाया गया है। वहीं एक कथा के अनुसार इसी धार्मिक स्थल के समीप एक गांव में पंडित निगाहिया नामक व्यक्ति रहता था, जोकि कुष्ठ रोग से ग्रसित था। कुष्ठ रोग से पीड़ित होने के बाद किसी ने उस ब्राह्मण को बताया कि पास ही के गांव बसोली के जंगल में लखदाता पीर जी आते हैं। वही उसके इस रोग को ठीक कर सकते हैं। जिसके बाद वह ब्राह्मण इस स्थान पर रहकर लखदाता पीर जी की आराधना करने लगा जिसके बाद लखदाता पीर जी वहां पहुंचे और पंडित निगाइयां को पास ही के एक तालाब में स्नान करने को कहा। तालाब में स्नान करने के बाद पंडित निगाइयां कुष्ट रोग से मुक्त हो गया। उसके बाद जब बाबा लखदाता पीर वहां से जाने लगे तो पंडित निगाईया ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जताई लेकिन पीर बाबा ने पंडित निगाइयां को इसी स्थान पर रहकर पूजा अर्चना करने के निर्देश दिए। वहीं दूरदराज से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि वो पिछले लंबे समय से पीरनिगाह मंदिर में आ रहे है और इस धार्मिक स्थान पर श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।