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पांव जमने से पहले ही आम आदमी पार्टी की खिसकने लगी जमीन
शुरू-शुरू में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने हिमाचल प्रदेश में खूब जनसंपर्क अभियान चलाया। कई लोग इस पार्टी से जुड़ते भी चले गए। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Delhi CM Arvind Kejriwal and Deputy CM Manish Sisodia) और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कई जगह दौरे भी किए। हिमाचल प्रदेश की जनता को गारंटियां भी दीं। मगर सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद हिमाचल मंें इनकी पकड़ ढीली होती चली गई। आज सोलन में जिस कद्र का ड्रामा हुआ है वह सोचने पर मजबूर कर रहा है। आखिर पंजाब के ईटीटी अध्यापक (ETT Teachers of Punjab) यहां अपना दुख रखने पहुंचे हैं तो जरूर उनके साथ कुछ ना कुछ गुजरा होगा। हालांकि पंजाब से ईटीटी अध्यापक संघ के सदस्य रोड शो के बीच पर्चे बांट रहे थे। पर्चे में लिखा है कि पंजाब में ईटीटी अध्यापकों के साथ किए वादे से मुकर गई है। 4500 शिक्षकों की भर्ती में चुने गए थेए लेकिन बिना किसी वजह के उनका वेतन आधा कर दिया है। अभी हाल ही में आम आदमी पार्टी को पंजाब में भरपूर सफलता मिली है। मगर इतने थोड़े समय में ही इन अध्यापकों का रुष्ट हो जाना साबित कर रहा है कि दाल में कुछ काला तो जरूर है। उन्होंने तो अपना विरोध जताया था। मौका यह भुनाया था कि हिमाचल में विधान सभा चुनाव (Himachal assembly elections) हैं तो ठीक इससे पहले हम अपनी बात सशक्त तरीके से रखें। उन्होंने महज पर्चे ही अरविंद केजरीवाल की तरफ फेंके थे और रोड शो के दौरान महज पर्चे ही बांटे जा रहे थे।
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ऐसे में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा और उनकी पिटाई कर डाली। वहीं आनन-फानन में केजरीवाल को अपना भाषण महज पांच मिनट में ही निपटाना पड़ा। केजरीवाल ने इन्हें बीजेपी और कांग्रेस के गुंडे करार दिया है। अब सवाल उठता है कि पंजाब से चलकर ये अध्यापक आखिर यहां तक आए हैं तो जरूर अपना दर्द लेकर ही आए हैं। पंजाब में चुनाव से पहले केजरीवाल ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के बड़े-बड़े दावे किए थे। स्कूलों की हालत सुधारने की बात कही थी। तो उनमें ही ये शिक्षक भी आते हैं। कितनी बुरी बात है कि अपनी बात रखने आए शिक्षकों की धुनाई हिमाचल में इसलिए कर डाली कि वह अपनी बात रख रहे थे। पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की धज्जियां भी उड़ी हुई हैं (Law and order has also been blown up in Punjab.) । आए दिन पंजाब में जघन्य अपराध हो रहे हैं। कहने वाले कह रहे हैं कि पंजाब के सीएम भगवंत मान पंजाब को संभालने में कामयाब नहीं है। सिद्धू मूसेवाला के मर्डर के बाद तो स्थितियां और भी बिगड़ती चली गईं। अब सवाल यह उठता है कि दिल्ली के सीएम हिमाचल में जिन सुधारों की बात कर रहे हैं क्या वह चुनाव जीतने के बाद उन्हें पूरा कर पाएंगे। अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद लाइमलाइट में आए केजरीवाल ने उस समय एक ईमानदार सुशासन देने के सब्जबाग दिखाए थे। मगर क्या वह उस वादे को पूरा कर पाए हैं। क्या दिल्लीवासियों की सारी समस्याएं दूर हो गई हैं। हिमाचल प्रदेश के लोग पढ़े-लिखे हैं और वे अपना अच्छा-बुरा अच्छी तरह से जानते हैं। मगर बात ठीक साबित होती दिख रही है कि आम आदमी पार्टी के हिमाचल में पैर जमने से पहले ही जमीन खिसकने लगी है। वहीं कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ गुजरात पर फोकस कर रहे हैं। क्योंकि गुजरात में यदि उन्हें जीत मिल जाती है तो यह नरेंद्र मोदी के लिए एक बड़ा झटका होगा।