-
Advertisement
विधानसभा सत्रः तपोवन में कल अपना हक मांगेंगे भूमि अधिग्रहण प्रभावित
शिमला। जब से विधानसभा (Assembly) का शीतकालीन सत्र शुरूहुआ है, सरकार की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। सरकार (goverment) के दर अपनी मांगें मनवाने के लिए एक के बाद एक संगठन और मंच प्रदर्शन कर रहे है। अब भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच ने भी अपनी मांगें मनवाने के लिए तपोवन (tapovan) का कूच करने का ऐलान कर दिया है। मंच के कार्यकर्ता कल विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करेंगे। भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के अध्यक्ष बीआर कौंडल की अध्यक्षता में परवाणू-शिमला, किरतपुर-मनाली, मटौर-शिमला, पठानकोट-मंडी, पिंजौर-नालागढ़, हमीरपुर-कोटली-मंडी मार्ग से प्रभावित छह जिलों से 21 संघठन, किसान भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून को लागू करवाने के लिए विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करेंगे। उन्होने प्रभावित किसानों से अपील की है कि वे इसमें बढ़.चढ़ कर हिस्सा लें।
संयोजक जोगिंद्र वालिया ने कहा कि सरकार द्वारा जो भूमि अर्जित की गई है, उसमें भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून ;पुनर्स्थापना, पुनर्वास व चार गुना मुआवजा को हिमाचल सरकार पूर्णतः लागू नहीं कर रही है। हालांकि 2018 में मंत्री स्तर पर एक सब-कमेटी गठित की गई थी, जिसमें पुनर्स्थापना, पुनर्वास तथा भूमि अधिग्रहण, 2013 के अनुसार फैक्टर-2 (चार गुना मुआवजा) को लागू करने की बात तय हुई थी, लेकिन चार साल बीत जाने के बावजूद हिमाचल सरकार (himachal goverment) अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं ले पाई है और हाल ही में मंत्री स्तर पर कमेटी गठित की गई है, जिसकी अभी तक कोई बैठक नहीं हो पाई है।
इसके कारण आम किसानों में भारी गुस्सा है, क्योंकि भूमि अधिग्रहण से पूरे प्रदेश में किसानों, दुकानदारों व अन्य नागरिकों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है, इसलिए शिमला, सोलन, बिलासपुर (bilaspur), कुल्लू , मंडी व कांगड़ा के प्रभावित जिलों से किसान अपना विरोध प्रकट करने 14 दिसंबर को भारी संख्या में हिस्सा लेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि किसानों के मुद्दों को सरकार जल्दी सुलझाए, अन्यथा समस्याओं के शीघ्र समाधान न होने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच, राज्य स्तरीय आंदोलन करने पर मजबूर होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य, केंद्र सरकार व राष्ट्रीय उच्च मार्ग के अधिकारियों की होगी।