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किडनी रोगों से लड़ती है आयुर्वेदिक दवा ‘नीरी केएफटी
जलोदर से पीड़ित मरीज का इलाज आयुर्वेदिक पॉली-हर्बल दवा द्वारा किया जा सकता है, जिसमें न केवल क्रोनिक किडनी बीमारी को रोकने की क्षमता है, बल्कि महत्वपूर्ण अंग की सामान्य स्थिति को बहाल करने की भी ताकत है। यह दावा शोधकर्ताओं की एक टीम ने किया है। बता दें, अधिक वजन वाले लोगों के पेट में तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जो अत्यधिक दर्द और गैस का कारण बनता है। इसे ‘जलोदर’ कहते हैं। जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज के एक अध्ययन में, कर्नाटक के मैसूरू स्थित जेएसएस आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के सहायक प्रोफेसर कोमला ए, सिद्धेश अराध्यमठ और शोधकर्ता मल्लीनाथ आईटी ने मिलकर ‘नीरी केएफटी’ (Neeri KFT) तैयार की।
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शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती जलोदर मरीजों का आयुर्वेद के फार्मूले (Ayurvedic Formula) से इलाज किया। शोधकतार्ओं ने कहा, इस आयुर्वेदिक फार्मूले की 20 मिलीलीटर की एक डोज रोजाना सुबह और शाम एक महीने तक दी जाती थी। हर्बल दवा ने न केवल मरीजों की किडनी को और अधिक नुकसान से बचाया, बल्कि पेट में जमा हुए तरल पदार्थ को बाहर निकालने में भी मदद की। शोधकर्ताओं ने कहा कि हर्बल फॉर्मूले के सेवन से पेट में जमा तरल पदार्थ पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकला। नीरी केएफटी पौधों से निकाली गई एक हर्बल दवा है, जो पुनर्नवा, वरुण, सिगरू, सरिवा, मकोई और सिरीश जैसी जड़ी-बूटियों से बनी है।
एआईएमआईएल फार्मास्युटिकल्स के संचित शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में ‘नीरी केएफटी’ किडनी (Kidney) को मजबूत करने के साथ-साथ शरीर से जहरीले तरल पदार्थों को साफ करने में कारगर साबित हुई है। जलोदर से पीड़ित मरीजों में पेट में दर्द व सूजन जैसे लक्षण हो सकते हैं, जो दूर होने के बजाय और बिगड़ जाते हैं। पेट की परेशानी बढ़ जाती है। थोड़ा खाने के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस होता है। पेट में दबाव बढ़ने पर सांस लेने में तकलीफ होती है। इस तरह के संकेतों को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
–आईएएनएस