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बंजर जमीन पर दिया हरा-भरा जंगल, प्रकृति प्रेमियों ने 4 साल में ऐसे किया कमाल
महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी समेत कई भाषाओं की फिल्मों में अभिनय कर चुके शयाजी शिंदे के एनजीओ ने कमाल कर दिखाया है। महाराष्ट्र के लातूर जिले में पड़ने वाले लातूर रामवाड़ी गांव की गिनती सूखाग्रस्त इलाके में हुआ करती थी। जिस कारण 4 साल पहले तक वहां की जमीन को बंजर माना जाता था, लेकिन एनजीओ से जुड़े प्रकृति प्रेमियों के एक समूह ने अनूठी पहल कर करिशमा कर दिया। एनजीओ ने पिछले चार वर्षों से एक बंजर पर्वतीय क्षेत्र में 30,000 से ज्यादा पेड़ लगाकर इसे हरे भरे जंगल में बदल दिया है
जानकारी के अनुसार, वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाला पर्वतीय भाग लातूर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर रामवाड़ी गांव के पास स्थित है। सयाजी शिंदे द्वारा संचालित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सह्याद्री देवराय’ के बैनर तले प्रकृति प्रेमियों ने 2018 से जिले की चाकुर तहसील के बालाघाट रेंज में बंजर पर्वतीय क्षेत्र की लगभग 25 हेक्टेयर भूमि पर पेड़ लगाए हैं।
चाकुर के तहसीलदार (राजस्व अधिकारी) डॉ शिवानंद बिडवे ने बताया कि स्थानीय प्रशासन इस अभियान को अपना समर्थन और सहयोग देगा। बिडवे ने जिलाधिकारी पृथ्वीराज बीपी की पर्वतीय क्षेत्र के 25 हेक्टेयर भाग में संस्था के वृक्षारोपण अभियान की सराहना की। वहीं, एनजीओ के लातूर जिला समन्वयक सुपर्ण जगताप ने बताया कि शिंदे 2018 में लातूर में चाकुर तहसील के जरी (खुर्द) गांव में 400 साल पुराने एक विशालकाय बरगद के पेड़ के नीचे कार्यशाला आयोजित करने गए थे। इसी दौरान उन्होंने पर्यावरणविदों को इस मुद्दे को उठाने के लिए प्रेरित किया। संगठन ने छात्रों, शिक्षकों, डॉक्टरों और किसानों समेत विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को भी इसमें शामिल किया।
जगताप ने कहा कि वह हर हफ्ते उस जगह का दौरा करते थे और शारीरिक व्यायाम जैसी गतिविधियों में शामिल होते थे। इसके साथ ही पेड़ लगाते समय प्रासंगिक सामाजिक विषयों पर चर्चा करते थे। उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्र में बरगद, नीम और पीपल सहित लगभग 60 किस्मों के 35,000 से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं, जिनमें से लगभग 30,000 पेड़ बचे और बड़े हो गए। जगताप ने कहा कि हमारा एक लाख पेड़ लगाने का अभियान है। इसके बाद वह इस क्षेत्र को अध्ययन केंद्र और सभी के लिए एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेंगे। संगठन के कार्यकर्ता भीम डुंगवे ने कहा अभिनेता सयाजी शिंदे ने लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से इस आंदोलन की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए और समाज में इसके बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
स्थानीय पर्यावरणविद और टीम के सदस्य शिवशंकर चापुले ने कहा कि कई क्षेत्रों में पेड़ों को काटने से पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की आबादी में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि पहले पक्षी फसलों को नष्ट करने वाले हानिकारक कीड़ों को खाते थे, लेकिन अब पक्षियों की आबादी घटने से किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों का छिड़काव करते हैं जो बदले में इंसानों और उनके जीवन को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि इसलिए हमने इस पर्वतीय क्षेत्र को वनाच्छादित क्षेत्र में बदलने और समाज में प्रकृति संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी समेत कई भाषाओं की फिल्मों में अभिनय कर चुके शयाजी शिंदे के एनजीओ ने पिछले चार वर्षों से बंजर पर्वतीय क्षेत्र में 30,000 से ज्यादा पेड़ लगाकर हरे-भरे जंगल में बदल दिया है।