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वीरभद्र सिंह का आ रहा है 87वां Birthday ,पढ़ लेना क्या कहा है उन्होंने आप सबसे
शिमला। राजा कहकर पुकारते हैं, उन्हें सभी लोग,वजह यही है कि वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) राजनेता होने के साथ-साथ दरियादिल इंसान हैं। 23 जून को उनका 87वां जन्मदिन (Birthday)आ रहा है। इस दिन वर्षों से लोग उन्हें शुभकामनाएं देने शिमला स्थित निजी आवास हॉलीलॉज में शुभकामनाएं देने आते हैं। इस मर्तबा उनका जन्मदिन कोरोना संक्रमण जैसी महामारी के दौर के बीच आ रहा है। इसके चलते ही उन्होंने जन्मदिन से पहले एक पाती लिखकर कहा है कि कोविड-19 (Covid-19)के प्रतिबंधों के चलते वह प्रदेशवासियों से अपील करते है कि वे इस बार अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहते हुए अपने घरों में सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing)का पालन करते हुए सुरक्षित रहें।
जनता का स्नेह ही उनकी ताकत
वीरभद्र सिंह ने कहा है कि पूरा देश- प्रदेश उनका अपना घर है,जिसमें उनका अपना पूरा परिवार बसता है। उनका प्यार और स्नेह ही उनकी ताक़त रही है, जो आज भी उनके साथ है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि कोरोना महामारी से देश के साथ साथ प्रदेश भी अछूता नहीं है,इसलिए उन्हें इस वैश्विक महामारी से पूरी तरह सचेत रहते हुए सभी को डॉक्टरों की सलाह का पालन करना चाहिए। उन्होंने प्रदेशवासियों व अपने सभी शुभचिंतकों (Well wishers)का आभार व्यक्त करते हुए उम्मीद जाहिर की है कि यह बुरा दौर भी जल्द गुजर जाएगा, देश प्रदेश में सभी की जिंदगी सामान्य होगी और सब खुशहाली की जिदंगी बसर करेंगे।
बुशहर रियासत के राजा रहे
हिमाचल प्रदेश के छह बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह का नाम प्रदेश की राजनीति में अग्रिम पंक्ति में लिया जाता है। हिमाचल की राजनीति (Politics of Himachal) की बात हो और वीरभद्र सिंह का नाम न आए, ऐसा संभव ही नहीं है। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला जिले के सराहन में राजा पदम सिंह (Raja Padam Singh) के घर हुआ। वीरभद्र सिंह का संबंध राजघराने से है। उनकी शुरुआती पढ़ाई शिमला (Shimla) के बिशप कॉटन स्कूल (BCS) शिमला से ही हुई। बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की। वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक करियर में केवल एक ही बार चुनाव हारे हैं।
25 साल की उम्र में पहुंचे थे संसद
वीरभद्र सिंह ने पहली बार वर्ष 1962 में लोकसभा (Lok sabha) का चुनाव लड़ा और 25 साल की उम्र में संसद पहुंचे। इसके बाद 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की। 1976 और 1977 के बीच, वीरभद्र सिंह को केंद्र में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में उपमंत्री बनाया गया। वर्ष 1980 में वीरभद्र सिंह ने फिर चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए। उन्हें इस दौरान केंद्र में राज्य उद्योग मंत्री बनाया गया। इसके बाद वीरभद्र सिंह ने प्रदेश राजनीति की ओर रुख किया। हालांकि, बीच में वह एक बार फिर मंडी संसदीय सीट (Mandi Parliamentary Seat) से सांसद चुने गए। मई 2009 से जनवरी 2011 तक उन्हें केंद्रीय इस्पात मंत्री (Union Steel Minister) बनाया गया, बाद में जून 2012 में उन्हें माइक्रोए स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे पहले, जब 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी, तो मंडी सीट से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई थीं।
छह बार हिमाचल के सीएम रहे
केंद्रीय राजनीति में अहम रोल अदा करने वाले वीरभद्र सिंह ने वर्ष 1983 में प्रदेश राजनीति में सक्रियता बढ़ाई। वर्ष 1983 में वह जुब्बल-कोटखाई सीट से उपचुनाव जीते और प्रदेश के सीएम (CM) बने। इसके बाद वर्ष 1985 के विधानसभा चुनावों में वीरभद्र सिंह ने जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रोहड़ू (Rohru) विधानसभा क्षेत्र से 1990, 1993, 1998 और 2003 में विधानसभा चुनाव जीते। वर्ष1998 से लेकर 2003 तक वह नेता विपक्ष भी रहे। इससे पहले, 1977, 1979 और 1980 में वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (Pradesh Congress President) भी रहे। वीरभद्र सिंह अप्रैल 1983 में पहली बार सीएम बने और 1990 तक सीएम के पद पर बने रहे। इसके बाद 1993 और 1998 और 2003 में वह फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हुए। वर्ष 2012 में वे छठीं बार हिमाचल के सीएम चुने गए। वर्तमान में भी वह अर्की विधानसभा क्षेत्र (Arki Assembly Constituency) से विधायक हैं।
बाप-बेटा वर्तमान में कांग्रेसी विधायक
वीरभद्र सिंह ने वर्ष 1985 में प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) से शादी की। उनका एक बेटा और चार बेटियां हैं। हिमाचल की राजनीति और कांग्रेस को इस प्रदेश में स्थापित करने में वीरभद्र सिंह का अहम योगदान रहा। उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह भी मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद रही हैं। उनका बेटा विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) वर्तमान में शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक है। यानी इस वक्त वीरभद्र सिंह व उनका बेटा दोनों ही विधायक हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान वीरभद्र सिंह ने एक बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि वह कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं के कहने पर वह राजनीति में आए। उनका सपना था कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय (DU)में प्रोफेसर बनें, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राजनीति में आने को कहा और इस तरह उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।