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जुब्बल कोटखाई में BJP के दावेदार, चेतन बरागटा-प्रज्वल बस्टा-नीलम सरैक
Last Updated on June 20, 2021 by Sintu Kumar
शिमला। हिमाचल में उपचुनावों की सीरीज पर हम आपको बता रहे हैं कि हिमाचल में जहां भी उपचुनाव होने हैं वहां के दावेदारों की लिस्ट में कौन-कौन शुमार हैं और किन नामों को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा चल रही है। मंडी लोकसभा और फतेहपुर विधानसभा सीट के बाद आज जुब्बल कोटखाई की बात करते हैं। पहले दोनों की लिस्ट में हमने बीजेपी की ओर से संभावित नामों पर मंथन किया था। ऐसे में आज भी बीजेपी की ओर से जुब्बल कोटखाई सीट पर किन नामों को लेकर हवा बन रही है उस पर चर्चा करते हैं। जुब्बल कोटखाई जहां बीजेपी के पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक एवं मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा का हाल ही में निधन हुआ। जुब्बल कोटखाई भी एक एप्पल बेल्ट है। नरेंद्र बरागटा किसानों और बागवानों के हकों के लिए विधानसभा में आवाज उठाने के एक बड़े नेता रहे।
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चेतन बरागटा
जुब्बल कोटखाई सीट के लिए जो नाम सियासी गलियारों में चल रहा है वो नाम खुद पूर्व मंत्री स्व. नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा है। चेतन बरागटा इस समय हिमाचल बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख हैं। साथ ही साथ भाजयुमो में भी सक्रिय हैं। शिमला विधानसभा क्षेत्र में भी वह सक्रिय रहते हैं।
युवाओं के बीच में उनकी पहचान है और सिम्पथी फैक्टर भी उनके साथ चलता है। हालांकि देखना होगा कि वो टिकट पाने में कितना कामयाब होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नरेंद्र बरागटा को जीत के बावजूद जयराम सरकार में मंत्री पद नहीं मिल सका था। इसके बाद उन्हें मुख्य सचेतक का पद जयराम सरकार ने बाद में दिया था। एक और नया सियासी पेंच यहां यह है कि जुब्बल कोटखाई उपचुनाव के लिए शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को प्रभारी लगाया गया है।
सुरेश भारद्वाज और नरेंद्र बरागटा के रिश्तों को लेकर पोलिटिकल पंडितों के बीच फीडबैक अच्छी नहीं। ऐसे में देखना होगा कि शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज चेतन बरागटा के लिए पैरवी करते हैं या नहीं। हालांकि सियासी जानकारी इस मुद्दे को लेकर भी कहना है कि बहुत ही कम चांस हैं कि चेतन बरागटा के नाम बीजेपी के बड़े नेता ही एकजुट हों, लेकिन एक फैक्टर यहां यह भी गिनाया जाता है कि जिस तरह से बीजेपी ने भोरंज उपचुनाव में पूर्व मंत्री और तत्कालीन विधायक आईडी धीमान के निधन के बाद उनके पुत्र डा. अनिल धीमान को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन 2017 के चुनावों में उन्हें दरकिनार कर दिया था वो काम भी इस बार किया जाए। हालांकि 2017 के उपचुनाव में बीजेपी प्रदेश में विपक्ष में थी। इसलिए बीजेपी ने सिम्पथी फैक्टर के साथ चलने का ही काम किया था। हालांकि सिम्पथी के साथ ही परिवारवाद फैक्टर भी उनके साथ जोड़ कर टिकट काटा जा सकता है।
प्रज्वल बस्टा
2017 में के पंचायती राज चुनावों में हिमाचल में शिमला जिला में एक ऐसा नाम सामने आया जिसने अपनी पहचान कम से कम युवाओं के बीच अपनी पहचान बना ही ली। नाम है प्रज्वल बस्टा। 2017 में मात्र 21 वर्ष की उम्र में बीडीसी का चुनाव लड़ा, जीतीं और बीडीसी चेयरपर्सन भी बन गईं। तमगा मिला की वो सबसे कम उम्र की बीडीसी चेयरपर्सन हैं। हालांकि इस बार चुनाव नहीं लड़ा। उपचुनाव को लेकर इनके नाम पर भी खूब चर्चा चल रही है और माहौल जबरदस्त बनाया जा रहा है। सुरेश भारद्वाज को जुब्बल कोटखाई का प्रभारी बनाया जाना सियासी जानकारी इनके पक्ष में ही मान रहे हैं। वजह हम पहले ही आपको बता चुके हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम महाजन ने प्रज्जवल बस्टा को बीजेपी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नियुक्त किया था। प्रज्वल बस्टा के एक युवा चेहरा हैं और महिला खेमे से आती हैं और बीजेपी वैसे भी महिला को टिकट देने में प्राथमिकता की बात दोहराती रहती है। ये फैक्टर ऐसे में उनके पक्ष में हैं।
नीलम सरैक
पूर्व जिला परिषद सदस्य नीलम सरैक के नाम पर भी सियासी गलियारों में माहौल बनाया जा रहा है। हालात यह हैं कि कई फेसबुक पोस्ट उनके समर्थन में देखने को मिल रहे हैं, जिसमें लिखा जा रहा है वंशवाद परिवारवाद समाप्त करो , आम आदमी तुम्हारे साथ है , 1957 से 2021 तक यह सीट पुरुषों के पास रही , दो परिवारो के पास रही , अब समय आ गया है कि महिलाओं को मिलनी चाहिए , परिवारवाद व वंशवाद का भी Jubbal Kotkhai से खातमा हो जाएगा, Neelam Seriak नीलम सरैक आगे बढ़ो आम आदमी तुम्हारे साथ है। इस बार नीलम सैरक चुनाव हार चुकी हैं। हालांकि एंटी बरागटा खेमे की मानी जाती हैं। ऐसे में इन पर भी बीजेपी दांव खेल सकती हैं। महिला होना और पहले ही जिला परिषद का चुनाव लड़ना भी इनके पक्ष में जाता है।