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मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर मिलती है विजय,संकट होता है दूर
Ma Baglamukhi Jayanti: वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस माना जाता है। इस दिन विधि विधान से देवी बगलामुखी की पूजा की जाती है। मां बगलामुखी देवी दुर्गा का अवतार हैं। मां बगलामुखी अलौकिक सौंदर्य और शक्ति का संगम मानी जाती हैं। इन्हें पीतांबरा, बगलामुखी, बगला और कुंडली जागृत करने वाली महाविद्या के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और हर संकट दूर होता है। इस साल यह तिथि 28 अप्रैल 2023 को पड़ रही है इस दिन 11:58 AM से 12:49 PM, मां बगलामुखी के पूजा का विधान है। इसके अलावा सुबह 03:57 AM से 04:41 AM का समय उत्तम है।
देवी बगलामुखी को पीला रंग बहुत ही प्रिय है। ऐसे में देवी बगलामुखी जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। जिस स्थान पर पूजा करनी है वहां गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी रखकर मां बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। हाथ में पीले चावल, हल्दी, पीले फूल और दक्षिणा लेकर माता बगलामुखी व्रत का संकल्प करें। साथ ही देवी को खड़ी हल्दी की माला पहनाएं। पीले फल और पीले फूल चढ़ाएं। पीले रंग की चुनरी अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती लगाएं। फिर पीली मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं। वहीं अगले दिन पूजा करने के बाद ही भोजन करें।
- ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
- इस मंत्र को मां का विशेष मंत्र माना जाता है। मां के इस मंत्र का जप करने से मां प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
- ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
- इस मंत्र को मां बगलामुखी का शत्रु नाशक मंत्र कहा जाता है। जिन व्यक्तियों को अपने शत्रुओं से भय रहता है उन्हें इस मंत्र का जप करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस मंत्र का नियमित जप करते हैं, उनका शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं। इस मंत्र के नियमित जप से मां बगलामुखी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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