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अगले साल देनदारियों का भुगतान भी भारी पड़ सकता है सुक्खू सरकार को
रविंद्र चौधरी/धर्मशाला। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter Session Of Himachal Assembly) के आखिरी दिन शनिवार को पेश कैग और एफआरबीएम की रिपोर्टें (CAG and FRBM Reports) सरकार पर वित्तीय दबाव (Financial Pressure) की ओर इशारा कर रही हैं। इनमें कहा गया है कि आमदनी की तुलना में सरकार के खर्च ज्यादा होने से अगले साल सरकार को अपनी देनदारियों का भुगतान करना भी मुश्किल हो सकता है।
इसके अलावा हिमाचल की अर्थव्यवस्था पर छठे वेतन आयोग (6th Pay Commission) की सिफारिशों का असर भी दिख है। सदन के पटल पर पेश आगामी सालों के लिए एफआरबीएम के तहत खर्चों और आय के अनुमान में चालू वित्त वर्ष की देनदारियों को 29881 करोड़ रुपए बताया गया है। इसमें सबसे अधिक 14099 करोड़ रुपए की राशि वेतन (Salary) पर खर्च होगी। इसके अलावा पेंशन (Pension) पर 7709 करोड़ रुपए, ब्याज पर 5562 करोड़ रुपए, उपदानों पर 1244 करोड़ रुपए तथा सामाजिक सुरक्षा पर 1266 करोड़ रुपए की राशि खर्च होने का अनुमान है। पेंशन, ब्याज और वेतन पर खर्च होने वाली राशि कुल राजस्व के 55 फीसदी के आसपास है।
आधे से ज्यादा वेतन और पेंशन पर खर्च
2024-25 में सरकार की देनदारियां (Liabilities) 32344 करोड़ रुपए के आस-पास होंगी। वर्ष 2024-25 में वेतन पर 15086 करोड़ रुपए, पेंशन पर 8325 करोड़ रुपए, ब्याज के भुगतान पर 6270 करोड़ रुपए, सामाजिक सुरक्षा पर 1342 करोड़ रुपए और उपदानों पर 1318 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। 2025-26 में सरकार के खर्चे 34758 करोड़ रुपए से अधिक होंगे। इसमें वेतन पर 16142 करोड़ रुपए, पेंशन पर 8992 करोड़ रुपए, ब्याज पर 6802 करोड़, सामाजिक सुरक्षा (Social Security) पर 1423 करोड़ रुपए तथा उपदानों पर 1398 करोड़ रुपए की रकम सरकार खर्च करेगी। साफ है कि खर्चों में बढ़ोतरी की रफ्तार आय के मुकाबले अधिक तेज है। अब सरकार को हर हाल में बढ़ते खर्च को रोककर ही आर्थिक स्थिति को मजबूत करना होगा।