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गांवों में नेटवर्क नहीं ऑनलाइन क्लास लगाने के लिए जंगल के बीच पहाड़ी पर जा पहुंचे ये बच्चे
बेशक जमाना टू जी- थ्री जी से आगे निकल तक 4 जी तक पहुंच गया है। हर हाथ में मोबाइल है और हर काम ऑनलाइन हो रहे हैं। कोरोना ( Corona)के इस दौर में इंटरनेट ( (Internet) की अहमियत हम सभी जानते हैं। कर्मचारी वर्क फार्म होम कर रहे हैं तो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई। सीधा सा फंडा है कि अगर ऑनलाइन पढ़ाई ( Online study)करनी है तो उनके लिए इंटरनेट चाहिए लेकिन सिग्नल का क्या करें? उसे कहां से लाएं।
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हिमाचल प्रदेश की भौगौलिक परिस्थिति ऐसी है कि पहाड़ों पर अकसर मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता। अब बच्चे पढ़ाई करें तो करें कैसे लिहाजा एक ऐसी जगह की तलाश की जाती है जहां पर सिग्नल आता है और फिर गांव के सभी बच्चे वहां पर जा कर पढ़ाई करते हैं। गांव के सभी माता–पिता अपने बच्चों को लेकर पहाड़ी पर जाते हैं और फिर वहीं पर सभी पढ़ाई करते हैं। बारिश हो या धूप बच्चे वहां पढ़ाई करते हुए अकसर देखे जा सकता है।
ये हाल है शिमला जिला के तहत कोटखाई की गरावग पंचायत( Garavag Panchayat of Kotkhai) का। इस पंचायत के आसपास के कई गांव ऐसे हैं जहां पर सिगनल नहीं आता है, ऐसे में सभी बच्चे जंगल में दो किलोमीटर दूर पहाड़ी पर जाते हैं और वहीं पर पढ़ाई करते हैं। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि पिछले एक वर्ष से अधिक समय से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। सबसे बड़ा नुकसान बच्चों का हो रहा है। उनका कहना है कि यहां पर एक बीएसएनएल का टॉवर( BSNL Tower) हो है पर सिग्नल नाममात्र का है। सरकार को ये बात सोचनी चाहिए कि क्या सिर्फ कहने भर से ऑनलाइ पढ़ाई हो जाती है याफिर उसके लिए इंटरनेट कनैक्टेविटी होना जरूरी होता है।