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चीन ने पूर्वी लद्दाख के बफर जोन में 4 तंबू गाड़े, चुशूल के पार्षद ने जताई चिंता
लेह। चीन ने भारत की सीमा में बेहद अहम रणनीतिक चौकी चुशूल सेक्टर (Chushul Sector) में बफर जोन पर 4 तंबू (Chinese Tents) गाड़े हैं। यह बात चुशूल के पार्षद कोंचोक स्टेन्जिन (Konchok Stanzin) ने बताई। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि ग्रामीणों के अनुसार चीनी सेना के तंबू उस जगह पर गाड़े गए हैं, जहां सेनाओं की आवाजाही नहीं है। यह घटना पूर्वी लद्दाख के गुरुंग हिल्स में टेबल टॉप इलाके की है।
काउंसिलर स्टेन्जिन ने बताया कि उन्हें गांववालों ने जानकारी दी थी कि तीन टेंटों को भारतीय सेना के विरोध के बाद हटा दिया गया, जबकि चौथा टेंट हटाए जाने की प्रक्रिया में था। उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने दो दिन पहले ही चुशुल के बफर जोन (Buffer Zone) में चार टेंट लगाए। ये भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने और विवादित क्षेत्र को बफर जोन बनाने के समझौते का उल्लंघन है।
ऐसे बना था बफर जोन
2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच कई बार बातचीत हुई। इन चर्चाओं में ये तय किया गया कि गलवान (Galwan), पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso Lake) के उत्तरी व दक्षिणी किनारे, PP-17 और PP-15 इलाकों को बफर जोन में तब्दील किया जाएगा। यानी इन इलाकों में दोनों में से कोई सेना अपने बंकर या टेंट नहीं लगा सकती। जिन इलाकों को बफर जोन बनाया गया है, वहां अप्रैल 2020 के पहले ITBP और सेना नियमित रूप से गश्त लगती थी। इसके बाद चीन ने पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर के किनारे बड़ी संख्या में सैनिक तैनात करना शुरू कर दिया। अब पूर्वी लद्दाख में करीब 26 ऐसे पेट्रोलिंग पॉइंट हैं, जहां भारतीय सेना गश्त नहीं लगाती है।
गलवान में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे
2020 के अप्रैल-मई में चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि 4 दशक से ज्यादा वक्त बाद LAC पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
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