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हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू पश्चमी हिमालय के सुदूर क्षेत्र बंजार की तीर्थन और सैंज घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (Great Himalayan National Park) को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया। यह नेशनल पार्क (National Park) भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है जिसका क्षेत्रफल करीब 765 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का अनुपम खजाना है। इस नेशनल पार्क का महत्व यहां पाई जाने वाली दुर्लभतम जैविक विविधता से ही है। वन्य जीव हो या परिन्दा, चिता, भालू, घोरल, ककड़, जेजू राणा, मोनाल सरीखे कई परिन्दे व जीवजन्तु और वन वनस्पति औषधीय जड़ी बूटियां यहां मौजूद है। इस पार्क की विशेषता यह भी है कि यहां पर वन्य जीवों व परिन्दों की वे प्रजातियां आज भी पाई जाती है जो समूचे विश्व में दुर्लभ होने के कगार पर है। बात चाहे वन्य प्राणियों की हो चाहे परिन्दों की हो या औषधिय जड़ी बूटियों की पार्क क्षेत्र हर प्रकार के अनुसंधान कर्ता, रोमांच प्रेमियों और ट्रैकरों को लुभा रहा है।
पहले तो इस पार्क क्षेत्र में भेड़ बकरी पालक जिसे यहां फुआल/ चरवाहा कहते है ही जाते थे लेकिन अब देश विदेश के पर्यटक, प्राकृतिक प्रेमी और ट्रैकर यहां की ऊंचाइयां नापने और विकट भगौलिक परिस्थितियों में भी शिखर छूने को आतुर रहते है। यहां के स्थानीय लोगों ने परंपरागत तरीके से घाटी को सहेज कर रखने तथा इसका संरक्षण करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। इस घाटी में आकर पर्यटक कैम्पिंग, ट्रैकिंग, फिशिंग, रिवर क्रोसिंग, पर्वतारोहण जैसी साहसिक गतिविधियों का आनन्द ले सकते है। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू उपमण्डल बंजार की तीर्थन एवं सैंज घाटी में स्थित विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर कई ऐसे खुबसूरत स्थान मौजूद हैं जहां पर शायद ही अभी तक इन्सानी कदम पड़ें हो। इन खुबसूरत स्थलों पर केवल ट्रेककिंग करके ही पहुंचा जा सकता है। इन स्थानों पर जाने के लिए पार्क प्रबन्धन से परमिट लेना होता है और स्थानीय गाइड और पोर्टर लेकर जाना जरूरी है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के अन्दर तीन से पन्द्रह दिन तक ट्रेकिंग और कैम्पिंग की जा सकती हैं। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के कोर जॉन में घूमने फिरने के लिए परमिशन लेनी पड़ती है जबकि बफर जोन में विना किसी अनुमति के गाइड के साथ कहीं भी घूम सकते हैं। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के अलावा उपमण्डल बंजार में तीर्थन घाटी, जीभी घाटी, जलोड़ी दर्रा, सरेलसर झील, रघुपुर किला, बाहु, गाड़ा गुशैनी, चेहणी फोर्ट, पलदी घाटी, बशलेओ जोत, सैंज घाटी, रैला, भलान, शांघड और शेंशर जैसे अनेकों रमणीक स्थल मौजूद हैं। जिला कुल्लु के इन पहाड़ी क्षेत्रों को इसकी प्राकृतिक सुन्दरता और शान्त वादियों के लिए जाना जाता है। यहाँ पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों की आवाजाही होती है। आजकल हिमाचल प्रदेश में बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है। बरसात आते ही पहाड़ों में चारों ओर हरियाली छा जाती है, मानो सारे पहाड़ हरे रंग में रंग गए हो, सफेद कोहरे की चादरों में लिपटे हुए पहाड़ और उस हरे रंग पर काले व सफेद रंग के बादल मस्ती में उमड़ते हुए, जगह जगह पर ऊंचाई से गिरते झरने, जहाँ बर्षा रानी के चलते पेडों के पतों पर टप टप कर पानी बरस रहा हो, और सूखे नालों में भी पानी बहता हुआ दिख जाए, जहां तेज जल प्रवाह से भरी हुई नदियां उफनती, मचलती और बलखाती हुई पत्थरों से टकराते हुए अथाह सागर से मिलने जा रही हो, और इन्ही नजारों के बीच चलते हुए अगर किस्मत अच्छी हो तो कभी कभार इन्द्रधनुष की सतरंगी छटा भी दिख जाती है। ये सब नज़ारे केवल बरसात के मौसम मे ही पहाड़ों में देखने को मिलते है।
पहाड़ों के परिपेक्ष्य में एक बात यह है कि पहाड़ बरसात में खतरनाक हो जाते है लेकिन पहाड़ों की असली खूबसूरती तो बरसात के मौसम मे ही निखर कर बाहर आती है। यहां के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात का मौसम आते ही यहां पर लोकल फलों और सब्जियों का मौसम भी शुरू हो जाता है । बरसात का मौसम पहाड़ी कृषि के लिए बरदान साबित होता है। यहां के लोग अपने घरों के आस पास वाले खेतों में फल सब्जी और अनाज की पैदावार करते हैं। इस मौसम में आडू, खुरमानी, नाख, नाशपती, पलम और सेब जैसी कई किस्म के ताजा फल और सब्जियां यहां पर उपलब्ध होते है। बरसात के मौसम में पहाड़ों में घूमने फिरने का एक अनूठा ही अनुभव होता है। जब लोग इंटरनेट पर पहाड़ो की बेहद हरियाली युक्त तस्वीरों को देखते है, तो देखते ही सीधी आह निकलती है कि वाह क्या नजारा है। ये अधिकतर तस्वीरें बरसात के मौसम में ही ली गई होती है वरना गर्मियों में कहां पहाड़ों पर ये सब नजारा देखने को मिलता है। जो लोग इस मौसम के दौरान पहाड़ो में घूमते हैं वही इस नजारे की तस्वीरें अपने कैमरों में कैद करके ले जाते है।
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