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श्रावण मास के पहले सोमवार ऊना के प्राचीन महादेव मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
ऊना। श्रावण मास के पहले सोमवार के चलते जिला भर के तमाम शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। हालांकि रविवार देर रात से जिला भर में भारी बारिश का दौर भी चल रहा था लेकिन इसके बावजूद भारी बारिश आस्था के सामने बोनी पड़ती हुई दिखाई दी। श्रद्धालुओं ने परिजनों सहित शिवालयों में पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कर मन्नत मांगी। वहीं मंदिरों में आचार्य और पुजारियों ने श्रद्धालुओं का विधिवत पूजन करवाया। प्राचीन महादेव मंदिर कोटला कलां में जहां श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया, वहीं मंदिर परिसर में स्थापित भगवान् भोलेनाथ की 81 फ़ीट ऊंची मूर्ति के भी दर्शन किये। भोलेनाथ के भक्तों का कहना है कि वह बेसब्री से इस मास का इंतजार करते हैं श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की महत्ता अधिक रहती है। वहीं मंदिरों में कोविड-19 के अनुरूप व्यवहार को अमल में लाने की भी श्रद्धालुओं से अपील की जा रही।
श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है। पांडव काल से स्थापित प्राचीन महादेव मंदिर कोटला कलां में तड़के से ही श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने पहुंच रहे हैं। भगवान को प्रिय बिल्वपत्र भी इस मास में चढ़ाने का विशेष फल मिलता है। श्रावण मास के सोमवार को व्रत करना शुभ माना जाता है। पांडव काल के समय से स्थापित भगवान भोलेनाथ का यह दरबार जिला के लाखों लोगों के लिए अमूल्य उपहार है। हालांकि रविवार रात से यहां भारी बारिश का दौर जारी है। श्रावण मास में श्रद्धालु दूरदराज से मंदिर में भोलेनाथ का अभिषेक करने पहुंचे।
कोविड के चलते मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को मास्क पहनकर ही पूजा अर्चना की अनुमति दी जा रही है। वही सैनिटाइजेशन का यहां पूरा प्रबंध किया गया है। श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के मानक के तहत पूजा अर्चना करने के लिए गर्भ गृह में भेजा जा रहा है। मंदिर के पुजारी शिव कुमार ने कहा कि सभी श्रद्धालु कोविड-19 के अनुरूप व्यवहार को अमल में लाते हुए मंदिर में आए। सरकार और प्रशासन के आदेशों का हर हालत में पालन करना अनिवार्य है। श्रद्धालु भोलेनाथ का अभिषेक करने आ रहे हैं और शांतिपूर्ण ढंग से पूजा अर्चना कर वापस घरों को लौट रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि वो पूरा वर्ष अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ के इस विशेष मास का इंतजार करते है। श्रद्धालुओं ने कहा कि श्रावण मास में भगवान महादेव का रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व रहता है, लेकिन कोविड के चलते ज्यादा समय मंदिर बंद ही रहे और अब सरकार द्वारा मंदिरों को खोलने की अनुमति दी गई है तो सभी को नियमों का पालन करना चाहिए ताकि कोरोना के मामलों पर रोक लग सके।