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हौंसलों को मिली उड़ानः Dairy farming ने बदल डाली सुषमा की तकदीर
Last Updated on July 3, 2020 by saroj patrwal
डेयरी फार्मिंग में स्वरोजगार की कई संभावनाएं हैं,कांगड़ा जिला के झिकली दाड़ी गांव की सुषमा ने कुछ इसी तरह से अपनी आजीविका चलाने के लिए डेयरी फार्मिंग ( Dairy farming) की राह चुनी और प्रतिमाह पंद्रह हजार से बीस हजार रुपये की आमदनी ने उसकी तकदीर बदल दी है। सुषमा अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनी हुई हैं और समाज में एक नई पहचान बनाई है। सुषमा शादी करने के उपंरात जब झिकली दाड़ी गांव में अपने ससुराल आई थीं, उस समय घर की हालत ठीक नहीं थी। आर्थिक स्थिति को ठीक करने के उदे्दश्य से उसने अपने पति के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाना शुरू कर दिया, परन्तु दोनों मिलकर भी इतना नहीं कमा पाते थे कि अपने परिवार की सही ढंग से परवरिश कर सकें। सुषमा ने फिर अपने गांव में ही गणेश स्वयं सहायता समूह की सदस्यता ली फिर समूह के माध्यम से ही सैनिटरी नैपकिन ( Sanitary napkin) का काम शुरू करने के लिए राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन(एनयूएलएम) के अन्तर्गत सैनिटरी नैपकिन का काम शुरू करने के लिए आवदेन किया। आवेदन करने के उपरांत सुषमा को पंजाब नेशनल बैंक( PNB)के धर्मशाला स्थित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा चलाए गए उद्यमिता जागरूकता शिविर में संस्थान द्वारा करवाये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में जानकारी मिली।न्होंने तुरन्त 13 दिन के डेयरी फार्मिंग के प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर दिया। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा उद्यमिता विकास का प्रशिक्षण पाकर इनके आत्मविश्वास में काफी वृद्धि हुई। फिर क्या था हौंसलों को उड़ान मिल गई।
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रोजगार शुरू करने के लिए सुषमा कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक दाड़ी से 2.50 लाख रुपये का लोन लेकर डेयरी फार्मिंग का कार्य शुरू किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके जीवन में परिवर्तन का आधार बना। मेहनत और प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान के बूते देखते ही देखते दिन बदलने लगे। सुषमा ने 5 गाय तथा 3 बछियां पाल रखी हैं। जिससे लगभग प्रतिदिन 30 से 40 किलोग्राम दूध प्राप्त हो रहा है। वे दूध को आसपास के गांवों में बेचते हैं और हर महीने लगभग 15 से 20 हजार रूपये कमा रहे हैं। अपनी इस कमाई से उन्होंने बैंक का लोन भी चुका दिया है। सुषमा के पति जगजीत का कहना है कि सुषमा के आत्मविश्वास ने उनके परिवार की जिन्दगी बदल दी है। डीसी कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति का कहना है कि सभी जिलावासियों विशेषकर युवाओं एवं महिलाओं को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने एवं आत्मनिर्भर बनाने पर बल दिया जा रहा है। प्रशासन के इन प्रयासों में पंजाब नेशनल बैंक के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो बेहद सराहनीय है।