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Tibet छोड़ते वक्त Dalai Lama को क्या क्या लगा था – ट्वीट कर कही ये बड़ी बात
मैक्लोडगंज। तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा (The Dalai Lama) ने कहा है कि यदि आप किसी समस्या को देखते हुए उस पर नजदीक से ध्यान केंद्रित करते हैं तो आप उम्मीद खो सकते हैं, लेकिन आप इसे (Wider Perspective) व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं, तो अधिक सकारात्मक (Positive) हो सकते है। तिब्बती धर्मगुरू ने ट्वीट कर कहा है कि जब मैंने तिब्बत छोड़ने का फैसला किया, तो हमने यह नहीं जाना कि क्या हम अगले दिन देखने के लिए जीवित रहेंगे, लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। यानि दलाई लामा ने इस ट्वीट के जरिए एक सकारात्मकता की दिशा में संदेश देने का प्रयास किया है। याद रहे कि दलाई लामा केवल 15 वर्ष के थे तो उन्होंने अपनी सरकार के वरिष्ठ होने के नाते राजनीतिक जिम्मेदारियों (Political Responsibilities) का निर्वाह शुरू कर दिया था।
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If you focus narrowly on the problem as you see it, you might well lose hope, but if you look at it from a wider perspective, it's easier to be more positive. When I decided to leave Tibet, we set out not knowing if we would live to see the following day, but I never gave up hope
— Dalai Lama (@DalaiLama) February 19, 2021
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वर्ष 1954 में महामहिम चीनी नेताओं से बातचीत करने चीन की राजधानी (Beijing) बीजिंग गए, जब चीन तिब्बत के बारे में असहयोगपूर्ण रवैया अपनाए हुए था। वर्ष 1956 में वे महात्मा बुद्ध (Mahatma Buddha) की 2500वीं वर्षगांठ पर भारत आए व तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से तिब्बत (Tibet) की दुर्दशा पर लंबी बातचीत की। अंततः तिब्बत में चीन सरकार के बढ़ते आतंक से उत्पन्न खतरे को भांपकर उन्हें 1959 में तिब्बत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। आज का ये ट्वीट उनकी उसी बात की तरफ इशारा करता है कि 1959 में जो व्यापक दृष्टिकोण अपनाया, उसी का नतीजा है कि हम आज भी उम्मीद नहीं छोड़े हैं। तिब्बती धर्मगुरू (McLeodganj in Himachal Pradesh) हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज स्थित अस्थायी निवास में रहते हैं। यही पर (Tibetan Exile Government) तिब्बती निर्वासित सरकार का मुख्यालय भी चलता है।