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हिमाचल: हस्तशिल्प कला में सास के बाद बहू बनी नेशनल अवार्ड विजेता, मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार
चंबा। सास-बहू की तकरार की खबरें तो आपने बहुत सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी सास-बहू के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पूरे देश के लिए मिसाल बनी हैं। ये सास-बहू की जोड़ी हिमाचल के चंबा (Chamba) जिला में हैं। हस्तशिल्प कला (Handicrafts) में इन सास-बहू ने अपनी प्रतिभा का लोहा प्रदेश ही नहीं बल्कि देश सहित विदेशों में भी मनवाया है। तीन बार नेशनल आवार्ड से नवाजी जा चुकी चंबा की ललिता वकील की बहू अंजली वकील का राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयन हुआ है। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार (President Award) से नवाजा जाएगा। यह सम्मान उन्हें आगामी नवंबर व दिसंबर माह में राष्ट्रपति द्वारा दिया जाएगा। वहीं यह सम्मान पाने वाली ललिता वकील के बाद उनकी बहू अंजली दूसरी हिमाचली हस्तशिल्पी हैं।
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बहू अंजली वकील ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी सास (Mother-in-law) ललिता वकील को दिया है। अंजली वकील ने कहा कि जो उपलब्धि उन्होंने हासिल की है, वो सब उनकी सास द्वारा प्रोत्साहित करने का नतीजा है। उनकी ही छत्रछाया में अब उन्हें यह पुरस्कार मिलेगा। उन्होंने बताया कि 2018 में चंबा रूमाल (Chamba Rumal) नेशनल अवार्ड के लिए भेजा था। अंजली ने बताया कि उनकी सास ललिता वकील को तीन नेशनल अवार्ड मिल चुके है। सबसे पहले 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से राष्ट्रीय पुरस्कार नवाजा था। 2012 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिल्प गुरु सम्मान दिया और 2018 में भी यह सम्मान मिला है। ललिता वकील के बाद अब अंजली चंबा की दूसरी महिला हैं, जिन्हें भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा है।
अंजली ने बताया कि उसकी शादी वर्ष 2006 में हुई थी। जिसके बाद लगातार उनकी सास ने उन्हें हश्तशिल्प के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि पिछले काफी सालों से उनकी सास ने चंबा रुमाल की हस्तकला को जीवित रखने तथा अन्य लोगों तक इसे पहुंचाने में विशेष योगदान दिया है। अंजली ने बताया चंबा रुमाल अपनी अद्भुत कला और शानदार कशीदाकारी के कारण देश के अलावा विदेशों में भी लोकप्रिय है। चंबा रुमाल की कारीगरी मलमल, सिल्क और कॉटन के कपड़ों पर की जाती है। इसके तहत श्री कृष्ण लीला को बहुत ही सुंदर ढंग से रुमाल के ऊपर दोनों तरफ कढ़ाई कर उकेरा जाता है। महाभारत युद्ध, गीत गोविंद से लेकर कई मनमोहक दृश्यों को इसमें बड़ी संजीदगी के साथ बनाया जाता है। चंबा रुमाल पर की गई कढ़ाई ऐसी होती है कि दोनों तरफ एक जैसी कढ़ाई के बेल बूटे बनकर उभरते हैं। अंजली ने बताया कि चंबा रुमाल की कला को आने वाली पीढ़ियों को भी रू-ब-रू करवाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे।
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