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क्या है ‘हीरामंडी’ की कहानी…. क्यों कही जाती है तवायफों की बस्ती? जिस पर भंसाली ने बनाई सीरीज
Last Updated on February 8, 2024 by Himachal Abhi Abhi
Heeramandi: नेशनल डेस्क। बॉलीवुड के जाने माने फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने कई हिट फिल्में बॉलीवुड इंडस्ट्री को दी हैं। उनकी हर फिल्म एक से बढ़कर एक साबित होती है। फिलहाल, अभी भंसाली अपनी अपकमिंग वेब सीरीज ‘हीरामंडीः द डायमंड बाजार’ (Heeramandi The Diamond Market) को लेकर खूब चर्चा में हैं। इस सीरीज से भंसाली ओटीटी की दुनिया में डेब्यू करने जा रहे हैं। ‘हीरामंडी’ का फर्स्ट लुक आउट होते ही लोगों का शानदार रिस्पॉन्स मिला है। वहीं, हाल ही में भंसाली की इस सीरीज का ट्रेलर (Trailer of Series) भी सामने आया है जिससे लोगों की एक्साइटमेंट और ज्यादा बढ़ गई है। क्या आप हीरामंडी की कहानी जानते हैं? आखिर जाने-माने फिल्ममेकर ने इस पर सीरीज बनाने का क्यों सोचा? और वहीं, हीरामंडी को तवायफों की बस्ती क्यों कहा जाता था? आज इस खबर के जरिए हम आपको हीरामंडी के पूरे इतिहास के बारे में डिटेल से बताएंगे…..आइए जानते हैं।
क्या है हीरामंडी का इतिहास? (History of Heeramandi)
हीरामंडी एक उर्दू शब्द है, जिसका मतलब है ‘डायमंड मार्केट’ यानी वो बाजार जहां हीरा मिलता है। यह पाकिस्तान के लाहौर का एक क्षेत्र भी है। इस पर सीरीज बनाने का आइडिया 14 साल से भी पहले मोईन बेग ने भंसाली को दिया था। हालांकि, भंसाली यह प्रोजेक्ट नहीं बना सके क्योंकि वह उस समय किसी ओर मूवी के काम में व्यस्त थे। पाकिस्तान के सबसे मशहूर जगहों में से एक हीरामंडी का नाम हीरा सिंह सम्राट के नाम पर रखा गया है। जिन्होंने शाही मोहल्ला में एक खाद्यान्न बाजार की स्थापना की थी, जिसे बाद में ‘हीरा सिंह दी मंडी’ नाम से जानने लगे। बाद में यह आधुनिक नाम हीरा मंडी में परिवर्तित हो गया। यह क्षेत्र तवायफ संस्कृति के लिए भी जाना जाता था, खासकर 15वीं और 16वीं शताब्दी में मुगल काल के दौरान। मुग़ल अपने ऐशों-आराम के लिए कथक जैसे शास्त्रीय डांस परफॉर्मेंस के लिए अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से महिलाओं को लाते थे। इसके बाद ये शाही मोहल्ला के नाम से भी जाना जाने लगा। वर्तमान में यह जगह विशेष रूप से पाकिस्तान लाहौर के रेड लाइट जिले के रूप में जानी जाती है।