-
Advertisement
अब नवंबर में हिमाचल सचिवालय का घेराव करेंगे किसान और मजदूर संगठन
नाहन। सीटू और हिमाचल किसान सभा (CITU and Himachal Kisan Sabha) के बैनर तले हज़ारों मजदूर और किसान 25 से 27 नवम्बर तक राज्य सचिवालय (State Secretariat) के बाहर तीन दिन का महापड़ाव करेंगे। दोनों संगठन महापड़ाव का आयोजन केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की सुक्खू सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी एवं जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ करेंगे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि यह तीन दिवसीय महापड़ाव मजदूरों का न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) 26 हज़ार रुपये करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स (Labor Codes) को रद्द करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों (Outsourced Workers) के लिए नीति बनाने, नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, योजना कर्मियों को नियमित करने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़मुक्ति आदि मांगों को लेकर होगा।
बढ़ती महंगाई में लोगों की कमर टूटी: विजेंद्र
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नव उदारवादी और पूंजीपतियों के अनुकूल नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई (Inflation) ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है।
ओपीएस और बीआरओ का निजीकरण रोके सरकार
उन्होंने बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस (OPS) लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने एवं बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तहबजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर और मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने की मांग की।