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हिमाचल: भगवान रघुनाथ की नगरी में बसंत पंचमी की धूम, उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब
कुल्लू। हिमाचल में कुल्लू (Kullu) जिला में कोरोना काल में जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक ढालपुर के रथ मैदान में शनिवार को बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। जिसमें भगवान रघुनाथ की नगरी सुलतानपुर से अधिष्ठाता रघुनाथ की पालकी को वाद्ययंत्रों की थाप और सैंकड़ो श्रद्धालुओं के साथ शोभायात्रा रथ मैदान में पहुंची। जहां पर भगवान रघुनाथ (Lord Raghunath) को रथ में बैठाने के बाद विधिवत पूजा-अर्चना आरती की और फिर राज परिवार के सदस्यों ने रथ के चारों और 9 बार परिक्रमा की। इसके बाद जय श्रीराम के नारों से श्रद्धालुओं ने रघुनाथ के रथ को खींच कर उनके अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। जहां पर समूची घाटी जय श्री राम से गूंज उठी। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में आस्था का जनसैलाब उमड़ा।
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ढालपुर मैदान मे हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर भगवान रघुनाथ के दर्शन किया। प्रतीक रूप में रामए लक्ष्मणए भरत और हनुमान भी इस मौके पर उपस्थित थे। हनुमान की भूमिका बैरागी समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा निभाई जाती है। रंग.बिरंगे व अधिकतर पीले वस्त्रों से सजे हुए लोगों ने बसंत पंचमी की इस बेला को करीबी से निहारा। रघुनाथ जी की एक झलक पाने के लिए भक्त लंबी कतारों में देर तक खड़े रहे। कुल्लू में बसंत पंचमी का आगाज होने के साथ ही रघुनाथपुर की होली भी शुरू हो गई है। भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह (Maheshwar Singh) के कहा कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए गए थे तो भरत उन्हें मनाने गुरु वशिष्ठ जी के साथ वन में गए थे। भगवान श्री राम ने जब देखा कि कुछ लोग उनकी तरफ आ रहे है तो उन्होंने पवन पुत्र हनुमान को उनके बारे में पता लगाने के लिए भेजा। हनुमान ने बताया कि गुरु वशिष्ठ के साथ भरत आए हैं। फिर श्री राम भरत से गले मिले और खड़ाऊं उन्हें दीं तथा वापस भेज दिया।
होली उत्सव का भी हुआ आगाज
उन्होंने कहा कि पूरे देश में होली उत्सव मार्च माह में मनाया जाएगा, लेकिन कुल्लू (Kullu) जिला में 40 दिन तक रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ेगा। 40 दिन तक प्रतिदिन रघुनाथपुर में होली (Holi) के गीत गाए जाएंगे और भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ाया जाएगाए क्योंकि महंत राजा के गुरु थे। इसलिए पूरे आयोजन में आज तक महंत समुदाय के लोग इसमें बढ़.चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। गुरु वशिष्ठ की भूमिका भी महंत निभाते हैं तथा हनुमान जी का रूप भी महंत ही धारण करते हैं। उत्सव में हनुमान द्वारा लगाए गए सिंदूर को शुभ माना जाता है।
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