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रोहित ठाकुर बोले- आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने सरकार के विकास की खोली पोल
शिमला। धराशाही हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जयराम सरकार (Jai Ram Govt) के बजट से जनता को काफ़ी उम्मीद थी, लेकिन वर्तमान बजट से जनता को घोर निराशा ही हाथ लगी है। यह बात जुब्बल नावर कोटखाई विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक व पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने कही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) की रिपोर्ट ने प्रदेश सरकार के पिछले तीन वर्षो के विकास के बड़े-2 दावों की पोल खोलकर रख दी है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश की विकास दर माइनस -6.2 प्रतिशत तक लुढ़की हैं तथा हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय में भी कमी आई हैं। बीजेपी सरकार (BJP Govt) ने 3 वर्ष में 15,000 करोड़ का ऋण लिया हैं, जिससे प्रदेश पर ऋण 65,000 करोड रुपए पहुंच गया है। प्रदेश सरकार वित्तीय प्रबंधन में विफल रही हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर लगभग 70,000 हज़ार का ऋण हैं।
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प्रदेश की सकल घरेलू आय में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कृषि व बागवानी क्षेत्र की बजट में अनदेखी हुई हैं। कृषि (Agriculture) और बागवानी (Horticulture) क्षेत्र की विकास दर में पिछले एक वर्ष से गिरावट देखने को मिली हैं। नए सीए स्टोर, प्रोसेसिंग प्लांट के बारें में बजट में कोई प्रावधान नहीं, जबकि प्रदेश में एक फिसदी कृषि व बाग़वानी उत्पादों को स्टोर करने की सुविधा उपलब्ध हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि बजट में जिन फ़ल प्रस्सकरण केंद्र, सेब पैकिंग केंद्र का ज़िक्र किया गया हैं वो पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में विश्व बैंक से वित्तपोषित 1,134 करोड़ के बाग़वानी प्रोजेक्ट के तहत स्वीकृत योजनाएं हैं, जिसमें बीजेपी सरकार की कोई भूमिका नहीं हैं। धर्मशाला का इंवेस्टर मीट सरकार की विफलताओं का स्मारक बन कर रह गया हैं। सरकार ने 700 एमओयू के साथ-साथ 1 लाख करोड़ के निजी निवेश की बात कही थी, जोकि मात्र कागज़ो तक ही सिमट कर रह गई हैं।
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प्रदेश के विभिन्न विभागों में 75,000 कार्यमूलक पद रिक्त पड़े हुए हैं। एसएमसी (SMC) अध्यापकों के नियमितीकरण के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई। वर्ल्ड बैंक द्वारा वित्त पोषित फेस-2 के अंतर्गत जिला शिमला को सड़क योजनाओं से वंचित रखा गया। 69 राष्ट्रीय राजमार्गो के बारे में कोई ज़िक्र नहीं, जोकि जुमला साबित हो चुके हैं। प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थिति व सामरिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण सुरंगों के निर्माण के लिए सरकार ने बजट में कोई पहल नहीं की। केंद्र और प्रदेश सरकार ने पेट्रोल (Petrol) और डीज़ल पर लगने वाले कर को आय का मुख्य साधन बना दिया हैं। केंद्र सरकार पेट्रोल व डीज़ल पर 33 रुपये एक्साइज डयूटी वसूल रही है, जिससे इनके दाम 100 रुपये का आंकड़ा छू रहे हैं और मंहगाई चरम पर पहुंच गई है। वहीं, प्रदेश सरकार भी वैट में कटौती ना कर आम जन को राहत से वंचित रख रही है। घरेलू सिलेंडर के दामों में पिछले 3 महीने में 225 की अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। खाद्य वस्तुओं के दाम आम जनता की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। रोहित ठाकुर ने अंत में कहा कि डबल इंजन की सरकार का बजट कोरोना जैसे संकट काल में भी आम जनता को राहत देने में विफल रहा