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गार्बेज फूड कैफे : यहां आधा किलो प्लास्टिक देने पर नाश्ता, एक KG पर मिलती है पूरी थाली
प्लास्टिक (Plastic) को खत्म करने के लिए एक बड़ी और लंबी लड़ाई लड़नी होगी। हालांकि इसके लिए लड़ाई लड़ी भी जा रही है, लेकिन अभी तक तक इस पर बहुत काम होना है। इस बीच हम एक गार्बेज फूड कैफे (Garbage Food) की खबर आपको बता रहे हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि देश में कुछ साल पहले से गार्बेज फूड कैफे की शुरुआत हो चुकी है। गार्बेज फूड कैफे (Garbage Food Cafe) में व्यक्ति को प्लास्टिक के रूप में कचरा देना होता है उस पर ही उसे खाना दिया जाता है। प्लास्टिक के कचरे का भार यह तय करता है कि आखिर कितना खाना व्यक्ति को दिया जाएगा।
वैसे तो देश के कई हिस्सों में गार्बेज फूड कैफे (Garbage Food Cafe) आज शुरू हो चुके हैं, लेकिन देश के पहले गार्बेज फूड कैफे के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं। दरअसल देश में पहली बार छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर (Ambikapur of Chhattisgarh) में गार्बेज फूड कैफे की शुरुआत हुई थी। दो साल पहले इस गार्बेज फूड कैफे की शुरुआत की गई थी। अंबिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) ने इस योजना को शुरू किया था। इस योजना के तहत गरीब और बेघर लोगों को प्लास्टिक का कचरा चुनकर लाना था और इसके बदले में उन्हें खाने की थाली देने दी जानी थी।
छत्तीसगढ़ से शुरू हुई यह आज मुहिम देश के कई शहरों तक पहुंच चुकी है। दरअसल राज्य सरकार ने अंबिकापुर में गार्बेज कैफे (Ambikapur Garbage Cafe) के लिए शुरुआत में पांच लाख के बजट की घोषणा की थी। यह योजना वास्तव में उन बेघर लोगों को रहने के लिए जगह उपलब्ध कराने की भी पहल है, जो प्लास्टिक कचरा चुनते हैं और जिनके पास घर नहीं है। आपको बता दें कि इसका काफी सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले थे। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर को उस साल इंदौर के बाद देश का दूसरा सबसे साफ शहर सर्वे में चुना गया था।
इसके साथ ही खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर प्लास्टिक कचरे को रोड बनाने के लिए इस्तेमाल करता है। अंबिकापुर में यह गार्बेज फूड कैफे शहर के मेन बस स्टैंड पर ही बनाया गया था। उधर, इस पहल का काफी ज्यादा सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। इसी के बाद अब दिल्ली की साउथ एमसीडी भी गार्बेज फूड कैफे को लेकर इस तरह की योजना पर काम कर रही थी। यहां एक किलो प्लास्टिक वेस्ट देने पर फुल प्लेट थाली और आधा किलो प्लास्टिक देने पर नाश्ता दिया जा रहा है। हालांकि फिलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर इसकी शुरुआत की गई है और एक या दो जगहों पर कैफे खोले गए हैं।
बहरहाल, इस तरह की स्कीम और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि दो फायदे इससे देश को होंगे। एक गरीब लोगों को खाना मिलेगा और दूसरा देश को साफ रखने में भी मदद मिलेगा। देश के कई शहरों ने प्लास्टिक कचरे को कम या खत्म करने के इस तरह के अभियान से स्वच्छता रैंकिंग में ऊंची जगह बनाई है। इसके साथ ही देश के कई शहरों में कचरा प्रबंधन के लिए भी नई तकनीक अपनाई जा रही है।