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हिमाचल में तबाही के लिए NHAI जिम्मेदार, भूवैज्ञानिक बोले- सड़क काटने में हुई गलती
शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस साल जुलाई और अगस्त में हो रही भारी बारिश में सड़कों पर लैंडस्लाइड (Landslide) के आई आफत और तबाही के लिए NHAI जिम्मेदार है। यह आरोप भूवैज्ञानिकों (Geoscientists) ने लगाया है। उनका कहना है कि सड़कों को जरूरत से ज्यादा चौड़ा करने की कोशिश की गई। अलाइनमेंट (Alignment) नहीं बदला गया और सुरंगों (Tunnels) का निर्माण नहीं किया गया। इन सब कारणों से सड़कों को भूस्खलन ने अपनी चपेट में लिया।
भारी बारिश से राष्ट्रीय राजमार्ग 5 के साथ-साथ कालका-शिमला सड़क (Kalka Shimla NH) का 40 किलोमीटर लंबा परवाणू-सोलन का हिस्सा भूस्खलन की वजह से बर्बाद हो गया। भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने इस आपदा के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को जिम्मेदार ठहराया है। भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर सड़क चौड़ीकरण की अत्यधिक आवश्यकता थी, तो सड़क का अलाइनमेंट बदला जा सकता था, या वहां सुरंगों का निर्माण किया जा सकता था।
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देर-सबेर यह तो होना ही था
पंजाब विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में मानद प्रोफेसर और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक ओम भार्गव ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा, “पहाड़ों की लगभग ऊर्ध्वाधर कटाई (Vertical Cutting) ने ढलानों को अस्थिर कर दिया है। बारिश हो या न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। देर-सबेर, इन ढलानों को संतुलन स्थापित करने के लिए नीचे की ओर खिसकना ही था।”
वर्टिकल कटिंग से गिर रहे हैं पत्थर
पहाड़ की वर्टिकल कटिंग का मतलब है कि उसकी ढलान 90 डिग्री के बेहद करीब हो जाना। लेकिन भूवैज्ञानिकों के मुताबिक यह ढलान 60 डिग्री से कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी वजह से राजमार्ग के ढलानों पर लगातार पत्थरों की बारिश हो रही है, जिससे नियमित अंतराल पर राजमार्ग की एक लेन पर यातायात बाधित हो रहा है।