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सरकारी भूमि हथियाने का इरादा, हिमाचल हाईकोर्ट ने रद्द की एंबुलेंस रोड बनाने की याचिका
शिमला। कानूनों के प्रावधानों का दुरुपयोग करने पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने एंबुलेंस रोड को लेकर दायर जनहित को 30,000 कॉस्ट सहित खारिज कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई भी सार्वजनिक हित शामिल नहीं है। यह याचिका केवल सरकारी भूमि को हथियाने के इरादे से दायर की गई है। प्रार्थी स्वच्छ मन से न्यायालय के समक्ष नहीं आया है। प्रार्थी के मकान के लिए आम रास्ता है जो कि मुख्य सड़क से जुड़ा हुआ हैए जिसकी चौड़ाई बढ़ाई जा सकती है।
मगर प्रार्थी ऐसा नहीं करना चाहता है। उस इलाके के ग्रामीणों द्वारा राज्य सरकार को एंबुलेंस रोड मुहैया कराने बाबत किसी भी प्रकार का प्रतिवेदन नहीं दिया गया है । अगर उसको एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करवाई जाती है तो अंदेशा है कि वह अन्य ग्रामीणों को बाधा पैदा कर सकता है। जिस जमीन पर वह एंबुलेंस रोड बनाने की बात कर रहा हैए प्राइम लोकेशन पर होने के कारण उस जगह को किसी अन्य बड़े उद्देश्य के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। न्यायालय ने पाया कि यह याचिका केवल कानूनों के प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए दायर की गई है।
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इस कारण न्यायालय 30,000 कास्ट सहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी कांगड़ा जिला का रहने वाला है। वह 80 फ़ीसदी अपंग है। वह सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुका है। उसका घर मुख्य मार्ग से 15 .20 मीटर की दूरी पर है। प्रार्थी के अनुसार उसे अस्पताल आने.जाने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है । प्रार्थी ने न्यायालय से गुहार लगाई थी कि राज्य सरकार को आदेश दिए जाएं कि उसे उसके घर तक एंबुलेंस रोड की सुविधा मुहैया करवाई जाए।