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कुल्लू अंतरराष्ट्रीय दशहरा: ढोल-नगाड़ों की थाप पर निकली भगवान नरसिंह की भव्य जलेब
कुल्लू। हिमाचल के कुल्लू जिला में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव (International Dussehra Festival) के दूसरे दिन शाही अंदाज में भगवान नरसिंह (Lord Narsingh) की भव्य जलेब (Grand Jaleb) निकाली गई। वी देवताओं ने अपने हारियानों के साथ ढोल नगाड़ों की थाप पर इसमें भाग लिया। अब कुल्लू दशहरा खत्म होने तक रोजाना ये जलेब शहर में निकाली जाएगी। इस जलेब को राजा की जलेब भी कहा जाता हैए क्योंकि परंपरा के अनुसार इस जलेब में कुल्लू के राजा पालकी में सज-धज कर यात्रा करते हैं। भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर के साथ लगी राजा की चानणी से लेकर अस्पताल, कॉलेज गेट होते हुए वापस उसी स्थान तक ढोल नगाड़ों की थाप पर नरसिंह की जलेब निकाली गई। इस जलेब में महाराजा कोठी क्षेत्र के देवी देवताओं में हुरंग नारायण जौंगा, वीर कैला, लौट, वीर कैला कमांद, पांच वीर खलियाणी, महावीर जौंगा, जम्गग्नि ऋषि चकनाणी आदि देवी देवता अपने हारियानों के साथ ढोल नगाड़ों की थाप पर नरसिंह की जलेब का हिस्सा बने।
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इस जलेब में आगे-आगे भगवान नरसिंह की घोड़ी सज-धज कर चलती है, वहीं पीछे-पीछे राजा की पालकी के साथ दोनों तरफ देवता के रथ चलते हैं। इस आलौकिक नजारे को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता है। पूरा कुल्लू शहर इस दौरान देवमयी हो जाता है। दर्जनों देवी-देवता ढोल-नगाड़ों की थाप पर इस जलेब में पूरे शहर की परिक्रमा करते हैं और लोग नाचते.गाते हुए इस जलेब का आनंद लेते हैं। उधरए भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में हर रोज की तरह पूजा अर्चाना की गई और भक्तों ने भगवान रघुनाथ (Lord Raghunath) जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। जबकि अन्य स्थानों में भी अपनी अपनी घाटी के देवी देवताओं ने हर रोज की तरह देव मिलन किया और नृत्य में भी भाग लिया। अलग अलग स्थानों में हुए देव नृत्य को देखने के लिए देश और विदेश से आए पर्यटक भी जुटे और इस अनोखी देव संस्कृति का करीब से निहारा। बता दें कि राजा की जलेब की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जब से दशहरा पर्व शुरू हुआए तभी से यह परंपरा भी निभाई जा रही है।
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