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हिमाचल में ग्रीन दिवाली: बाजार में उतरे गोबर से बने दिए; कीमत महज 10 रुपए
मंडी। दिवाली के पावन त्यौहार (Diwali Festival) को हर कोई अपने ढंग से मनाना चाहता है। बहुत से लोग इस पर्व पर जमकर पटाखे फोड़ते हैं तो बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो ग्रीन दीपावली (Green Diwali) मनाने में विश्वास रखते हैं। ऐसे लोगों के लिए मंडी जिला के कोटली उपमंडल के चलोह गांव निवासी कर्ण सिंह एक बेहतरीन प्रॉडक्ट लेकर आए हैं। कर्ण सिंह ने गाय के गोबर से दीए (Lamps of Cow Dung) बनाए हैं।
बता दें कि कर्ण सिंह हिमाचल प्रदेश का गाय के गोबर से उत्पाद बनाने वाला पहला स्टार्टअप (Startup) चला रहे हैं। श्री कामधेनू पंचगव्य उद्योग के नाम चलाए जा रहे इस स्टार्टअप में सभी प्रॉडक्ट गाय के गोबर से बनाए जाते हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश में इनकी डिमांड उतनी नहीं लेकिन दूसरे राज्यों के लोग इन प्रॉडक्ट को काफी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
धर्मशाला से दीयों की डिमांड
कर्ण सिंह (Karan Singh) ने बताया कि इस बार भी इन्हें गाय के गोबर से बने दीपकों का ऑर्डर (Order of Lamps) हरियाणा, दिल्ली और यूपी से मिला था। इन सभी जगहों पर 5 हजार के करीब दीए भेजे जा चुके हैं। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला से इनकी डिमांड आई थी जिसे भी भेज दिया गया है। अब गृह जिले में भी कर्ण सिंह इन दीपकों को लोगों के लिए हर वर्ष उपलब्ध करवाते हैं। एक दीपक की कीमत 10 रुपए रखी गई है। गोबर के बने दीए मंडी शहर के इंदिरा मार्केट के आजीविका केंद्र में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
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गोबर से दीपक बनाने के कार्य में तेजी
उधर, देहरा (Dehra) की सिद्धिविनायक गौशाला मुहल में भी गाय के गोबर से दीपक बनाने का कार्य तेजी से हो रहा है। अभी तक एक लाख से ज्यादा दीपक बनाए जा चुके हैं। दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार पर घरों को सजाने के लिए दीपक जलाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गाय के गोबर से बने दीपक भी जलाए जा सकते हैं? गाय के गोबर से बने दीपक कई मायनों में पारंपरिक दीयों से बेहतर हैं।
कैसे बनते है इको फ्रेंडली दीपक
ऑर्गेनिक फार्म (Organic Farm) में गाय के गोबर से दीपक बनाने के लिए आगे आए हैं सुनील शर्मा। इको फ्रेंडली होने के चलते देश के अन्य शहरों और अन्य राज्यों में भी इसकी मांग आ रही है। दीपक बनाने के लिए पहले गाय के सूखे गोबर को इकट्ठा किया जाता है। उसके बाद करीब एक किलो गोबर में 50 ग्राम मैदा लकड़ी चूर्ण और 50 ग्राम गम ग्वार मिलाया जाता है। हाथ से उसको गूंथकर गाय के गोबर को दीपक का खूबसूरत आकार देते हैं। एक मिनट में पांच से छ दीये तैयार हो जाते हैं। इसे दो दिनों तक धूप में सुखाया जाता है। खास बात ये है की उपयोग के बाद इन दीपक के अवशेष को खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।