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अमित शाह की रैली के डर से हुआ सरकार-किसानों में समझौता
कुरुक्षेत्र। सूरजमुखी के बीजों को MSP पर बेचने और किसानों की रिहाई की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन सरकार द्वारा सभी मांगे मांग लिए जाने के बाद मंगलवार देर रात खत्म हो गया। लेकिन सरकार को किसानों के साथ समझौता इसलिए करना पड़ा, क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की एंट्री से सरकार को डर था कि आंदोलन लंबा खिंच सकता है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह की 18 जून को प्रस्तावित सिरसा रैली बड़ी वजह बनी।
आंदोलन खत्म होते ही जम्मू-दिल्ली नेशनल हाईवे जाम (Highway Jam) भी मंगलवार रात खत्म हो गया। सरकार और किसानों के बीच समझौता हुआ कि किसान नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा। वहीं सूरजमुखी के 6400 रुपए प्रति क्विंटल रेट दिए जाएंगे। हरियाणा सरकार 8 दिन से सूरजमुखी (Sunflower Seeds) का रेट न बढ़ाने पर अड़ी हुई थी। 6 जून को किसानों को लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार तक कर लिया गया। इसके बाद 12 जून से 2 दिन यहां बैठे रहे, लेकिन सरकार ने कोई बात नहीं सुनी। उल्टा विज्ञापन जारी कर कहा कि हरियाणा में सूरजमुखी के सबसे ज्यादा रेट हैं तो फिर किसानों के जाम करने का क्या औचित्य है। मंगलवार रात को अचानक सरकार ने इनकी मांगें मान ली।
अमित शाह की सिरसा रैली बनी वजह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 जून को सिरसा में बड़ी रैली करने वाले हैं। अगर किसानों का आंदोलन लंबा खिंचता तो रैली पर भी उसका असर पड़ सकता था। इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने समझौते का रास्ता अपनाया। MSP पर सूरजमुखी की खरीद को आंदोलन की घोषणा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने की थी। इसके बाद 6 जून को किसानों ने जम्मू-दिल्ली नेशनल हाईवे को जाम कर दिया। किसानों के न मानने पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी समेत 150 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। चढ़ूनी के जेल जाने के बाद राकेश टिकैत ने आंदोलन संभाला और 12 जून को महापंचायत बुलाई। जिसमें MSP और किसानों की रिहाई की मांग की, लेकिन वार्ता विफल रही। इस बीच एंट्री संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की भी हो गई। किसानों ने फैसला SKM पर छोड़ दिया। सरकार को डर था कि संयुक्त किसान मोर्चा की एंट्री से ये आंदोलन भी किसान आंदोलन की तरह लंबा खींच सकता है। इस पर सरकार हरकत में आई और मांगे मानने पर विचार शुरू किया।
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