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दो मंत्रियों महेंद्र सिंह ठाकुर और राम लाल मारकंडे की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टली
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) में राज्य सरकार के दो मंत्रियों महेंद्र सिंह ठाकुर और राम लाल मारकंडे (Two ministers Mahendra Singh Thakur and Ram Lal Markande) की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टल गई। न्यायाधीश संदीप शर्मा के समक्ष महेंद्र सिंह वाले मामले पर सुनवाई हुई। जबकि राम लाल मारकंडे वाले मामले पर सुनवाई न्यायाधीश अजय मोहन गोयल के समक्ष हुई। मारकंडे वाले मामले पर न्यायाधीश गोयल पहले ही सुनवाई से इंकार कर चुके हैं इसलिए उन्होंने यह मामला मुख्य न्यायाधीश के विवेकानुसार किसी अन्य उपयुक्त बेंच के समक्ष रखने के आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं के अनुसार दोनों मंत्रियों ने चुनाव के शपथ पत्र (Affidavit) में कई जानकारियां छिपाई हैं। संपत्ति की गलत जानकारी देने की बात कही गई है। उनकी विधानसभा की सदस्यता को प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान झूठा शपथ पत्र दाखिल किया है। मंडी जिले के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक (MLA from Dharampur Assembly Constituency in Mandi District) और आईपीएच एवं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के खिलाफ उन्हें के क्षेत्र के रमेश चंद ने हाईकोर्ट में याचिका डाली है और उनकी सदस्यता खारिज करने की मांग की है। इसके अलावा कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय की सदस्यता को भी चुनौती दी गई है। इन पर भी विधानसभा चुनाव के दौरान दिए शपथ पत्र में झूठी जानकारी देने का आरोप लगाया गया है।
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याचिकाकर्ताओं के अनुसार, दोनों मंत्रियों ने चुनाव के शपथ पत्र में कई जानकारियां छिपाई हैं। संपत्ति की गलत जानकारी देने की बात कही गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मंत्री महेंद्र सिंह की पत्नी हाउसवाइफ होते हुए उनके नाम पर 7ण्68 करोड़ रुपये की संपत्ति कहां से आई। जबकि वर्ष 2012 चुनाव में उनके पास पैन कार्ड तक नहीं था। मंत्री मार्कंडेय के मामले में प्रार्थी का कहना है कि दंपति के नाम पर संपत्ति में समानता नहीं है। रामलाल लाहौल-स्पीति से 2007 में भी विधायक थे, लेकिन उस दौरान और अब तक की संपत्ति मेल नहीं खाती है। इसके अलावा शपथ पत्र में संपत्ति संबंधी जानकारी भी गलत है। महेंद्र सिंह ठाकुर की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 7 नवंबर को होगी तथा राम लाल मार्कण्डेय की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश द्वारा विशेष बेंच के गठन के बाद तय होगी।
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