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भारी बारिश ने हिमाचल को पहुंचाया 1340 करोड़ रुपए का नुकसान
शिमला। हिमाचल (Himachal) में बारिश कहर बनकर उतरी है। अब तक बरसात से अब तक 1340 करोड़ रुपए की सरकारी और निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है। प्रदेश की तमाम सड़कें ठप हैं। 400 से अधिक ट्रांसफाॅर्मर (more than 400 transformers) और पचास से ज्यादा पेयजल योजनाएं बंद हैं। अब इनके पुनः निर्माण में बजट की कमी सामने आ रही है। सरकार ने सड़कों आदि निर्माण के लिए स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड (State Disaster Relief Fund) से लगभग 232.31 करोड़ की रकम जारी की है। यह रकम बौनी पड़ रही है। राज्य सरकार अपने कोष से पीडब्ल्यूडी व जल शक्ति विभाग (PWD and Jal Shakti Vibhag) को जरूरत के हिसाब से अतिरिक्त बजट उपलब्ध नहीं करवा पा रही है।
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वहीं बरसात ने लोक निर्माण विभाग को करीबन 700 करोड़, जलशक्ति विभाग को 602 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। इसके बदले सरकार की ओर से करीबन 16 करोड़ पीडब्ल्यूडी को और जल शक्ति विभाग को 15 करोड़ रुपए दिए गए हैं। सरकार को अभी डीसी को शेष बजट में से प्रभावित परिवारों को मुआवजा भी दिया जाना है। वहीं सड़कों आदि को भी बहाल करना है। प्रदेश सरकार पर पहले से ही 65 हजार करोड़ कर्ज है। केंद्र से हर बार बरसात से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए नाममात्र बजट दिया जाता रहा है। इस बजट से राज्य सरकार भी बेबस है। जुब्बल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर (Kotkhai MLA Rohit Thakur) ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के पास सड़कें बहाल करने के लिए बजट नहीं है। जो सड़कें ठेकेदारों की मशीनें लगाकर बहाल की जा रही हैंए उन्हें भी पेमेंट का भुगतान नहीं किया जा रहा।
वहीं ठियोग के विधायक राकेश सिंघा (Theog MLA Rakesh Singha) ने मांग की कि जिन लोगों के मकान बरसात से क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, उन्हें कम से कम 5 लाख रुपए की मुआवजा राशि मिलनी चाहिए। वर्तमान में सरकार 14.15 हजार दे रही है। इसी तरह उन्होंने जिन लोगों के मकान को आंशिक क्षति हो रही हैं, उन्हें भी नुकसान के हिसाब से राहत राशि देने की मांग की है। प्रधान सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन डॉ ओंकार शर्मा ने बताया कि एसडीआरएफ से सभी डीसी और कुछ फंड विभागों को भी दे दिया गया है। केंद्र से भी आग्रह किया गया है कि बरसात से हुए नुकसान के आंकलन के लिए जल्द टीमें भेजकर राज्य को वित्तीय मदद की जाए। वहीं नुकसान की बात की जाए तो वर्ष 2018 में 1578 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इसी तरह वर्ष 2019 में 1202 करोड़ रुपए, वर्ष 2020 में 872 करोड़ और वर्ष 2021 में 1152 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।