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हाईकोर्ट ने गुणवत्ताहीन अवमानना याचिका 25 हजार रुपए कॉस्ट सहित खारिज की
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने गुणवत्ताहीन अवमानना याचिका 25 हजार रुपए कॉस्ट सहित खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि निस्संदेह, अवमानना क्षेत्राधिकार अदालतों के हाथों में एक शक्तिशाली हथियार है, लेकिन इसका इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए। जब तक अदालत यह अवमानना को संदेह से परे न मान ले तब तक इस क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल अदालतों के लिए उचित नहीं होगा।
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कोर्ट ने याचिका की गुणवत्ता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह याचिका स्पष्ट रूप से इस साधारण कारण से गलत है कि बकाया राशि की गणना या इसे जारी करने के लिए प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने याचिकाकर्ता के पक्ष में कोई निर्देश पारित नहीं किया था। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अवमानना याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है इसलिए याचिकाकर्ता प्रतिवादी विभाग को 25 हजार रुपये की कॉस्ट 4 सप्ताह के भीतर अदा करे।मामले के अनुसार प्रार्थी ने अपनी रिकवरी आदेशों को निरस्त करने के करने की मांग को लेकर प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष आवेदन दायर किया था। न्यायाधिकरण ने आवेदन का निपटारा करते हुए विभाग को आदेश दिए कि वह हाईकोर्ट के एक फैसले के मद्देनजर प्रार्थी की मांगों पर विचार करे। विभाग ने प्रार्थी को सेवा लाभों के लिए प्रार्थी को पात्र मानते हुए उसकी बकाया राशि 5 किस्तों में जारी करने के आदेश जारी किए। प्रार्थी ने विभाग के इन आदेशों को न्यायाधिकरण के आदेशों की अवमानना मानते हुए अवमानना याचिका दायर की थी। इसे हाईकोर्ट ने कानून का दुरुपयोग मानते हुए कॉस्ट सहित खारिज कर दिया।
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