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कोटि अवैध कटान मामलाः शपथ पत्र दायर कर दोषियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का ब्योरा पेश करें
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने वन रेंज कोटी जिला शिमला में 416 पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़े मामले में सरकार को शपथपत्र दायर कर दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा प्रस्तुत करने के आदेश दिए। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने 20 अप्रैल 2021 के आदेशानुसार विभागीय कार्यवाही की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने दोषी वन कर्मियों की चल अचल संपत्ति की जांच संबंधी जानकारी भी तलब की है। 20 अप्रैल 2021 को हाईकोर्ट ने प्रधान सचिव (वन) को 16 आरोपी वन अधिकारियों से 34,68,233 रुपये की वसूली करने के लिए उनकी जिम्मेवारी तय करने के आदेश जारी किए थे। इन अधिकारियों में दो वन अरण्यपाल, दो मंडल वन अधिकारी, तीन सहायक वन अरण्यपाल, दो रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, छह ब्लॉक ऑफिसर और एक फॉरेस्ट गार्ड शामिल है।
यह सभी कर्मी भलावाग बीट, कोटि फॉरेस्ट ब्लॉक, कोटि फॉरेस्ट रेंज, शिमला फॉरेस्ट डिवीजन और शिमला फॉरेस्ट सर्कल में तैनात वर्ष 2015 से 2018 के बीच तैनात थे। इसी दौरान कोटि रेंज में 416 पेड़ों का अवैध कटान हुआ था। कोर्ट ने इन अधिकारियो को अदालत में उपस्थित होने का अवसर भी दिया था और कहा था कि यह कर्मी उपरोक्त वसूली और उनके सेवा रिकॉर्ड में उल्लेखित चूक की प्रविष्टि करने से पहले अपनी बात अदालत के समक्ष रख सकते हैं।
छोटे वन कर्मियों को ही निशाना बनाया
इस मामले में कोर्ट को बताया गया था कि अनिवार्य फील्ड निर्देशों के अनुसार विभिन्न वन अधिकारियों का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वे अपने अधीन आने वाले क्षेत्र का निरीक्षण करे और पेड़ों की किसी भी तरह की कटाई का पता लगाए। विभाग ने उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय केवल उन अधिकारियों / अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जो रैंक में सबसे कम हैं और केवल छोटे वन कर्मियों को ही निशाना बनाया। कोर्ट ने सभी पक्षकारों की दलीलों के सुनने के पश्चात कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में बेशक काटे गये पेड़ों की लकड़ी की लागत वसूल की होगी परन्तु पेड़ों के मूल्य का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पेड़ न केवल ऑक्सीजन उत्पादक है बल्कि डी-कार्बोनाइज़र भी हैं। कोर्ट ने कहा था कि जो अधिकारी 100 साल की उम्र के पेड़ों के इस नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें दण्डित करना होगा। पेड़ों की इस तरह की अवैध कटाई की भरपाई किसी भी तरीके से नहीं की जा सकती है। मामले पर अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।