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टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड, पांच जिलों को भी पदक
Last Updated on March 24, 2021 by Sintu Kumar
शिमला। हिमाचल को एक बार फिर टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (TB Eradication Program) के लिए देश भर में भर के बड़े राज्यों में पहला स्थान (First Place) हासिल किया है। बड़े राज्यों में उन राज्यों का गिना जाता है जिन राज्यों की जनसंख्या 50 लाख से ज्यादा है। इस तरह हिमाचल प्रदेश टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में एक बार फिर यूपी, दिल्ली सहित अन्य राज्यों के मुकाबले इक्कीस साबित हुआ है। विश्व टीबी दिवस (World TB Day) पर आज 2021 हिमाचल प्रदेश सरकार को बड़े राज्यों में तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम के लिए प्रथम पुरस्कार दिया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक (NHM Director) निपुण जिंदल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Dr. Harsh Vardhan) से नई दिल्ली में यह पुरस्कार प्राप्त किया।
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इसके अलावा भी भारत सरकार ने टीबी प्रमाणीकरण (TB Certification) के लिए पूरे भारत में 74 जिलों को शॉर्टलिस्ट किया था। इसमें हिमाचल प्रदेश के पांच जिले भी शामिल थे। इसमें लाहुल-स्पीति ने एक रजत पदक और अन्य चार जिलों कांगड़ा, किन्नौर, हमीरपुर और ऊना ने वर्ष 2015 की तुलना में टीबी के मामलों में कमी के लिए कांस्य पदक जीता। आपको बता दें कि IGMC शिमला के प्रोफेसर अनमोल गुप्ता हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) टीबी प्रमाणीकरण प्रक्रिया के नोडल अधिकारी थे। इसके अलावा प्रोफेसर अशोक भारद्वाज को उनके अथक प्रयासों के लिए भी नवाजा गया।
कौन हैं अशोक भारद्वाज
प्रोफेसर अशोक भारद्वाज जिला ऊना के रहने वाले हैं और तपेदिक नियंत्रण में अपने प्रयासों के लिए पहचाने जाते हैं। प्रोफेसर अशोक भारद्वाज वर्तमान में उत्तरी आठ राज्यों के लिए तपेदिक को खत्म करने के लिए टास्क फोर्स के अध्यक्ष हैं और हिमाचल प्रदेश में टास्क फोर्स के अध्यक्ष भी हैं। प्रोफेसर अशोक भारद्वाज जिन्होंने हिमाचल सरकार में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था और वह आईजीएमसी शिमला में डीआर आरपीजीएमसी टांडा में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख थे। डीआर आरकेजीएमसी हमीरपुर से सेवानिवृत्त हुए थे। वह उत्तर भारत में एड्स के लिए एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी हैं और विभिन्न संघों की कई समितियों के अध्यक्ष भी हैं।
आपको बता दें कि आज विश्व तपेदिक दिवस हैं। इस बार विश्व टीबी दिवस पर इस वर्ष का विषय है घड़ी की टिक टिक। हम टीबी के विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए इस दिन को मनाते हैं। 1882 में इस दिन की तारीख को चिन्हित किया गया था, जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने बताया था कि उन्होंने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु की खोज की थी। इसने इस बीमारी के निदान और इलाज का रास्ता खोल दिया था। तपेदिक दुनिया में कोई इकलौता संक्रामक रोग नहीं है।